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________________ लघुविद्यानुवाद मन्त्र :-- समरा समरी इम मरणइ गंडू गर ऊपर माल रवरणई बलि रांगरण फाग विलाई लूरण पानी जिमि हेम गलाई भारा अमृत २ प्रक्षुभ्य फुट् स्वाहा । विधि - पानी मन्त्र्य बार २१ प्याइजे झाडो दीजै रीगनवाय जाय । २०७ मन्त्र :- ॐ तारणि तारय मोचनि मोचय मोक्षरिण मोक्षय जींव वरदे स्वाहा । विधि - पानी बार २१ मन्त्रित कर पीलावे झाडो दीजै सर्व वायु जाय । मन्त्र :- ॐ प्रह जउ गाइ सूरो ए ए ति तिमिर संघाया अनिल, वरण, निबद्धो अमुकस्य लूतवातं, रक्त वातं गिवातं, अडनोवातं विगछिया वातं, वृद्धिवातं, संतिवातं परणासरा स्वाहा । विधि : - कुमारी का सूत्र बार १०८ गाठ १२ मन्त्रि दीजं देह प्रमाण डोरो करिए तो वाय जाय । मन्त्र — ॐ मोहिते ज्वालामालिनी महादेवी नमस्कृते सर्वभूत देवी स्वाहा । विधि - जिस पर शका हो उसके नाम की चिट्ठी मन्त्र तेल मे चोपडि अग्नि माहि होमिये बले ते चोर जाणवे । मन्त्र :- ॐ नमो भगवते श्री वज्र स्वामिने सर्वार्थ सिद्धि सम्पन्नाय भोजन वस्त्रार्थ विधि देहि देहि हो नमः स्वाहा । - नगर प्रवेशे काकरा ७, बार २१ बार मन्त्रि वट वृक्ष के सामने डाले गाव मे प्रवेश करे तो सर्व कार्य सिद्ध होता है । मन्त्र - ॐ नमो भगवऊ गोमयस्य सिद्धस्य, बुद्धस्य प्रक्खीण महाणसस्य, भास्करी श्रीं ह्रीं मम चितितं कार्यं श्रानय श्रानय, पूरय २ स्वाहा । - १०८ बार गुनिये तो लाभ होय । विधि मन्त्र :- ॐ ह्री श्री वयर स्वामिस्स मम भोजन देहि देहि स्वाहा । विधि - बार ९०८ गुरिण काकरी २१ मन्त्रि वट वृक्ष उपर छाटिये तत ग्रामे लाभ भोजन भवति । 1 मन्त्र :- ॐ ह्रीं श्री क्लीं कलि कुंड स्वामिने अप्रति चक्र जये-विजये जिते अपराजिते जम्भे स्वाहा ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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