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विधि – इमेण मन्त्रेण सत्त परियते भूइ धराउ नाशति वित्त गजेण दुट्ठावि ।
लघुविद्यानुवाद
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मन्त्र :- ॐ लं वं रं यं क्षं हं सं मातंगिनी स्वाहा ।
विधि :- इस मन्त्र से जल को अभिमन्त्रित कर पिलाने से सर्व रोग चला जाता है । चउ दश अक्खर विज्जा जविय जल सत्त वाराऊ जल विस दाह विसाणं वाहि हर तोए पीएण |
मन्त्र :—ग छ ह उ कुपाउ उरू छिंदउ मुहुछंद पुंछु छिदउ छिंदि २ भिदि २ त्रुटि २ जाहि ३ निसंत्तानु ।
विधि : - इस मन्त्रको २१ बार पढता जाय और हाथ से झाड़ा देता जाय तो, गड दोष नष्ट हो । मन्त्र — ॐ पंचात्माय स्वाहा ।
:– इस मन्त्र से २१ बार चोटी मन्त्रित करके चोटी मे गाँठ लगावे तो ज्वर से छुटकारी मिलता है ।
मन्त्र :- ॐ श्रां क्रों ह्रीं नित्ये कलं दे मद द्रवे इंक्लीं हसौं पद्मावती देवी त्रिपुराजत्रिपुर क्षोभिनी त्रैलोक्यं क्षोभय क्षोभय स्त्री वर्ग श्राकर्षय आकर्षय
ह्रीं नमः ।
विधि :- इस मन्त्र का विधि विधान से जप करने से महादेवी पद्मावती जी का प्रत्यक्ष दर्शन होता है ।
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मन्त्र :- ॐ प्रां क्रीं ह्रीं ऐं क्लीं ह, सौ पद्मावती नमः ।
विधि : यह पद्मावती मूल मन्त्र है ।
मन्त्र :–ॐ ह्रीं श्रीं पद्मळे पद्मासने श्री धरणेन्द्र प्रिये पद्मावती श्रियं मम कुरु कुरु दुरितानि हर हर सर्व दुष्टानां मुखं वंधय बंधय ह्रीं स्वाहा ।
विधि :- इस मन्त्र का २१ बार स्मरण करने से सर्व कार्य की सिद्धि होती है । मन्त्र :- ॐ क्लीं ब्लीं लीं घ्रीं (ध्री) श्रीं कलि कुड भगवती स्वाहा ।
विधि : - इस मन्त्र का १००८ बार ज्येष्ठ महीने मे जप करे तो पद्मावती महादेवी जी प्रसन्न
होती है। ;
मन्त्र :- ॐ भगवति विद्या मोहिनी ह्रीं हृदये हर हर श्राउ आउ आणि जोहि जोहि मोहि मोहि ३ श्राकर्षि २ भैरव रूपिणी ब्लू ३ मम वशमानय बशमानय स्वाहा ।