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लघुविद्यानुवाद
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विधि -इस मत्र को कपूर चदनादि से थाली मे लिखकर सफेद अक्षतादि (मोक्ष पूर्व) से
१००० पहले जाप करे फिर नित्य प्रति स्मरण मात्र से सर्व कार्य सिद्धि होती है । मन्त्र -ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लौ कलिकुण्ड स्वामिन् सिद्धि श्रियं जगद्वश मानय
स्वाहा। विधि -इस मन्त्र को कपूर चदन केशरादि से पाटा के ऊपर लिख कर २१ दिन तक प्रतिदिन
१०८ बार अनशनादि तप पूर्वक जाप करे आदरपूर्वक आराधना करे फिर निश्चित रूप
से अभीष्ट सिद्धि होगी। यह मन्त्र चितामणी है। मन्त्र :-ॐ ओं कों ह्रीं ऐं क्लीं ह्रसौ देवि पद्म मे सर्व जगद्वशं कुरु सर्व विघ्नान्
नाशय नाशय पुरक्षोभं कुरु कुरु ह्रीं संवौषट् । विधि -इस मन्त्र को लाल कनेर के फूलो से १२००० (बारह हजार) जाप करे फिर चने के
बराबर मधु मिश्रित गुगुल की गोली १२००० (बारह हजार) बनाकर होम करने से
मन्त्र सिद्ध हो जायगा। इस मन्त्र के प्रभाव से राजादिक वश मे होते है। मन्त्र :-ॐ ह्रीं क्लीं पद्म पद्मावति पद्म हस्तेपुरंक्षोभय क्षोभय राजानं क्षोभय
मंत्रीणं क्षोभय क्षोभय हूं फट् स्वाहा । विधि .-इस मन्त्र को भी लाल कनेर के फूलो से और लाल रग मे रगे हुए चावल से १२०००
(बारह हजार) जाप करके मन्त्र को सिद्ध करे । यह मन्त्र भी वशीकरण मन्त्र है। मन्त्र :-ॐ नमो भगवते पिशाच रुद्राय कुरु ३ यः भंज भंज हर हर दह दह पच पच
गृहन गृहन् माचिरं कुरु कुरु रुद्रो प्राज्ञापयाति स्वाहा । विधि .-इस मन्त्र से गुगल, हिगु सर्षय (सरसो), सॉप की केचुली इन सब को मिलाकर मन्त्र से
१०८ बार या २१ बार मन्त्रित करे फिर रोगी के सामने इन चीजो की धणी देवे तो तत्क्षण शाकिन्यादि दुष्ट व्यतरादि रोगी को छोडकर भाग जाते है और रोगी निरोग
हो जाता है। मन्त्र :-ॐ इटिमिटि भस्सं करि स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से पानी १०८ बार मन्त्रित करके पिलाने से पेट का दर्द शात होता है। मन्त्र :-ॐ सिद्धि चटकि धाउ पटकी फूटइ फूहुन, वंधइ रकुन वहइ वाट घाट ठः ठः ___स्वाहा । त्रिम्मादेवी चंडिकालि, शिखरु लोही पूकु सुकि जाइ हरो हरः देवी
कामाक्षा की आज्ञा फुरै जइ इहि पिडिरहइ पीडा करहिं । विधि -इस मन्त्र को अरणी कडो की राख को १०८ बार मन्त्रित कर आँख पर लगाने से आँख
की पीड़ा शात होती है।