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लघुविद्यानुवाद
विधि :-इस मन्त्र से धूली (मिट्टी) को ५ या ७ बार मन्त्रित करके, दुष्ट के सामने डालने से दुष्ट
उपशम हो जाता है और वश मे हो जाता है। मन्त्र --ॐ हः हः हंसः सः सः हंसः षषः हंसः रः रः हंसः झः झ. हंसः जागु हंस
विधि -अनेन ऊजनेन कल्पानीये च कालदष्टो जिवति एते स प्रन्ययाः । मन्त्र ---ॐ भगमालिनी भगवते ह्रीं कामेश्वरी स्वाहा । विधि :-वस्त्र, पुष्प, पान आदि मन्त्रित कर देवे तो वश मे होता है । मन्त्र :-ॐ जंभे थंभे दुटुमंथं भय मोहय स्वाहा । विधि -वासाधूपो जलवा २१ वार अभिमन्यते । मन्त्र --ॐ प्रात्म चक्षु पर चक्षु भूत चक्षु शाकिनी चक्षु डाकिनी चक्षु पिसुन चक्षु सर्व
चक्षु ही फट् स्वाहा। विधि -इस मन्त्र से झाडा देने से नजर लगने वाले का दृष्टि दोष दूर होता है । मन्त्र :-ॐ दीट्रि विसुन दीटि विसुथावर विसु जंगम विसु विसु विसु उपविसु उपविसु
गुरु को प्राज्ञा परमगुरु की आज्ञा स्फुरउ प्राज्ञा स्फुरत्तर प्राज्ञा तीव्र प्राज्ञा तीव्रतर आज्ञा खर प्राज्ञा खरतर प्राज्ञा श्री का जल आदिनाथ देव की प्राज्ञा
स्फरउ स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से दृष्टि दोष उतारा जाता है। मन्त्र पार्बोपर्वउ त्रिशुलधारी श्रुल भंजइ श्रु ल फोडइ तासुलय जय । विधि :- इस मन्त्र से पेट पीडा का नाश होता है । मन्त्र -हिमवंतस्यात्तरे पार्वे अश्वकर्णो महाद्र मः तत्रेव श्रूला उत्पन्ना तत्रैव प्रलयं
गता। विधि -शूल नाशन मन्त्र । मन्त्र .-ॐ पंचात्माय स्वाहा । विधि -इस मन्त्र को २१ बार मन्त्रित करके, ज्वरग्रस्त रोगी की चोटी मे गांठ देने से ज्वर बन्धन
को प्राप्त होता है।