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लघुविद्यानुवाद
शक्तिका बधउ नील कंठ कंठेहि बंधउ जिह्वादेवी सरस्वती बंधउ
चक्षुा पार्वती बांधउ सिद्धिर्मम गुरु प्रसादेन । विधि -इस मन्त्र का सदैव स्मरण करना चाहिए। क्षुद्रोपद्रव का नाश होता है, विशेष
पडितो की सभा मे स्मरण करे, चोरो का भय हो तो स्मरण करे, या राजद्वारे
स्मरण करे। मन्त्र - रघरिणरंघ वाइ विसलित्ती देवोतिण त्तिणि तिसु लिभित्ती उट्ठी उवहिली
जाइष्यत्ति जावन संकरू पावइ अप्पि । विधि -गोबर की गुहली का करे, और एक स्वय दूसरी गुहली का कि जिसको रघणो होती
है उसको करके अक्षत से मन्त्रोच्चारण पूर्वक ताडन करे तो रघणी अच्छी हो जाती है।
मन्त्र -ॐ घटा कर्णो महावीरः सर्व व्याधि विनाशक: विस्फोटक भयं प्राप्त मा
रक्ष रक्ष महाबल यत्र त्व तिष्ट से देव लिखि तो विशदा क्षरैः तत्र
दोषान्नुपशामि सर्वज्ञ वचने यथाः । विधि -इस मन्त्र से कन्या कत्रीत सूत्र मे ७ गाठ लगावे मन्त्र को २१ वार पढे, फिर उस डोरे को
कमर मे बाधने से निगडादय उपशम होते है । मन्त्र -ॐ ह्री श्री धनधान्य करि महाविद्य अवतर मम गृहे धनधान्यं कुरु कुरु
ठः ठः स्वाहा । विधि .-२१ बार स्मरणोया । मत्र -सुर्वण मउडुरक्त प्राक्षि नील चचु स्वेत वर्ण शरीरिजउमाथइ अनत पुलकुविहुकाने कु डल
तक्षक शख चूडु वाहर रवइ वासुकिककोलु विह पाए नेउल शखद्वय पाय हेठ्ठि अरकत्रुयोनि ब्रह्मपुत्र खत्रु चरसि अखत्रजिनवर सिजज्ञाकारिजाइ विसुखर का खारिहिखाइ विसुलल्लाकारि लेइ विसूलिहि किलिहि हँस किलिहिलि हि हॅस जसु चदुठा इसोविसुखय हजाइ लोहिउ समप्पियउ तासु मइ जीवि उ समप्पियउ आदित्य कालिज्जममप्पियउ
कालागणी रुद्र फोकस अरि रे उट्ठी २। विधि -अनेन वार २१ अपराह्न दिन ७ डाभिउ जित्ता दृष्ट फोडी का वलु पीहउ चरहलु
रॉधण्यादिक मुपशाम्यति गृहलिकद्वाय मध्येवा स्व पादादिक ध्रियते। मत्र -ॐवीरिणो विवात पित्तापि इटि २ हस मस भक्षणे दास हरण व्याधि चूरगह दुगत
मॉसगत तेज गत गलगड गड माला कुरु हु टिया रोगो रुधिर हरो गुह्य कुभ करणा