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लघुविद्यानुवाद
पुजखडहडंत पाडइ हिडव गंट्ठि मोर गंट्ठेरण वाप हणु वीरणी शक्ति फुरइ सयं जरु त्रेता ज्वरु वेला ज्वरु एकांत्तरऊ हणुवीररणी शक्ति फूरइ । विधि : - इस मन्त्र से डोरा मन्त्रित करके बाँधने से ज्वर का नाश होता है ।
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मन्त्र :—डूं घ् भू ।
विधि - इस मन्त्र को भयानक स्थान पर स्मरण किया करे ।
मन्त्र :- ॐ ह्रीं मायागे सरस्वस्यै नमः ।
विधि :- बोध सारस्वत मन्त्र । चद्रा नना स्वरा भोधौ वाङ्मयी च सरस्वती ह च्चद्र मंडल गताध्याये त्सारस्वत महत् ।
मन्त्र :- ॐ ह्री ठः श्री वीस पारा उल केरी श्राज्ञा श्री घंट्टा कर्णकेरी आज्ञा फुरइ ।
विधि - उसरणो वात मन्त्र |
मन्त्र :- ॐ नमो लोहितपिंगलाय लघु २ हलु २ विलु २ ही स्वाहा ।
विधि :- कसु भल रक्तसूत्र स्त्री प्रमाण कृत्वा शिरसउपरी गुल ४ कृत्वा ऽनेन् मत्रेणभि । मत्र्य व श्रीयात् वा मपादल ध्वगुलि काया गर्भो न रक्षति पानीय चलुक ३ अभिमत्र्य दीयते गर्भो न क्षरति ।
मन्त्र :- ॐ तद्यथा गर्भधर धारिणी गर्भरक्षिणि श्राकाश मात्रीकै हुं फट् स्वाहा ।
विधि - इस मन्त्र से लाल डोरे को २१ बार मत्रित करके स्त्री के कमर में बाँधने से रक्त स्राव रुक जाता है ।
मन्त्र — ॐ नमो लोहित पिंगलायः मातंग राजानो स्त्रीणां रक्तं स्तंभय २ ॐ तद्यथा हु सुरलघु २ तिलि २ मिलि २ स्वाहा ।
विधि
- इस मन्त्र से लाल डोरे को २१ बार मन्त्रित कर ७ गाठ लगाकर स्त्रियो के वाम पाव के अँगूठे मे बाँधने से रक्त स्राव रुक जाता है ।
मन्त्र :- ॐ रक्त े २ वस्त्रे पुफु रक्त वाक्त स्वाहा ।
विधि :- अनेन कसु भ रक्त सूत्रेण अन्हट्ठ हस्त दवरक वटित्वा प्रघा घाडा मूल बधित्वा वार ७ श्रभिमन्त्रयते रक्त वाहक नश्यति ।
मन्त्र — ॐ भीमाय भूमि पुत्राय मम् गर्भं देहि २ स्थिर २ माचल माचल ॐ क्रा क्री क्रौ उ फट् स्वाहा ।