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लघुविद्यानुवाद
विधि -इस मन्त्रको २१ बार जाप करने से हर प्रकार के ज्वर नाश होते है। . मन्त्र :-ॐ ह्रां ह्रीं ह्रीं ह्र. ग्लांजिनदत्ताचार्य मंत्रेण अष्टोत्तर शत व्याधि क्षयं यांतु
ह्री ठः ठः स्वाहा। विधि -इस मन्त्र से कन्या कत्रीत सूत्र को ७ वड करके १०८ या ७ या २१ मन्त्रित करके डोरे मे
७ गाठ लगावे फिर ज्वर पीडा ग्रसित व्यक्ति के हाथ मे या कमर में बाँधने से ज्वर गड गुमडादि सर्व दोष नाश को प्राप्त होते है।
मन्त्र :- ॐ ह्री श्रीं क्लीं कलिकुण्ड स्वामिन् असि प्रा उ साय नमः । विधि -- इस मन्त्र से कुमारी कत्रीत सूत्र को १०८ मत्रित करके और डोरे मे ६ गाठ लगावे और
कमर मे बाधे तो गर्भ रक्षा भी होती है और गर्भ मोचन भी होता है । ध्यान रखे कि गर्भ रक्षा के लिये डोरा मन्त्रित करना हो तो मत्र के साथ-साथ गर्भ रक्ष २ बोले और गर्भ मोचन करना हो तो गर्भ मोचय २ मन्त्र के साथ बोले तो कार्य हो जाता है।
मन्त्र -ॐ रगमो अरहंतारणं, ॐ रणमो सिद्धारणं, ॐ रणमो पायरियारणं, ॐ रणमो
उवझायारणं, ॐ रणमो सव्वसाहरणं एय पंचरणमोक्कारो चउबीसमध्यउ आयरिय परं परागय चंदसेण खमासमणारणं प्रत्येणं सुत्तेण दाढ़ीणं दत्तोरणं जरक्खाणं रक्खसारणं पिसायारण चोराण मुख बधारणं दिट्ठी बधारण पहार
करोमि हो ठः ठः स्वाहा ।। विधि .-इस मन्त्र से पानी मन्त्रित करके उस पानी को दशादिशा मे फेकने से दष्टि दोष शांत
होता है। मन्त्र :-ॐ उजेरिण पाटरिण को कासु नामवाडहिउ रक्तवार छिदउ ताउ छिदउ सूधउली
छिदउ फोडि छिदउ फोसली छिदउ दृष्टि छिदउ शोफु छिदउ ग्रंथि छिदउ २ अनादि वचननेन छिदउ रामरण चक्रण छिद छिद भिद भिद ठः ठः शिरोतो
शिरोति छिदउ स्वाहा। विधि -इस मन्त्र को बोलता जाय और हाथ से छुरी पकड कर उस छरी के अग्र भाग को छेदानु
कार से घुमावे तो माथे का रोग, फोडे, फुन्सी का रोग शान्त होता है, किन्तु छुरी को फोडे
के ऊपर घुमाना पडेगा। मन्त्र -ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथाय सप्तकरण विभूषित्ताय अपराजित्ताए ॐ भ्रम
भ्रम रम, वज्र वज्र प्राकट्ट प्राकट्ट अमुकस्य सर्वग्रहान् सर्व