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विधि
लघुविद्यानुवाद
काल ८ किरिमेरि पिरिमेरि सिरि मेरि सरिय होइहिरि मेरि प्रायरियमेरि पय मपि साहंते सूरिणो सरिमो ॥ ॥
- इयमत पय समेया थुरिया सिरिमाण देव सूरीहि जिरसिद्ध सूरि पमुहादितुथुरण ताएग सिद्धि ||१०||
मन्त्र :- ॐ नमो गोयमस्ससिद्धस्स बुद्धस्स अवखीणं महारिणसस्स पत्तं पूरय पूरय स्वाहा: । ॐ दिट्ठी मखा बिलट्टी श्री उज्जेणीमउ चरंती ब्रह्मधीय वलवती तासु पसाई म्ह सिद्धि लद्धि वलं त्रिभुवनं वशीकरं (ग्रात्मरक्षा मन्त्र ) उच्चिट्टीवर प्रसादात् सर्व सिद्धि तरकणा होइ शांतिदेव की आज्ञा फुरइ ।
मन्त्र :- ॐ एकवर्ती सीसवर्ती पंच ब्राह्मण पंचदेव गरुडनी कंचुली पहिरइ मनुनि भ्रन्तु वालु वालिह विछिय हवालह नदी प्रवेसु हाथ रक्खउ पागरक्खउ वलिशंकर जीउ राखउ नारसिहरगड बंधु पडइ श्री स्वामिनीणी आजा फुरइ ।
विधि
- वज्र तारावर प्रशादात् सर्वसिद्धि तरक्करणा होइ शान्ति देवतरणी आज्ञा फुरइ । मन्त्र :- कालीनागिणी मुहिवस को विस कटउ रवाइ अंगि अंगि ग्रहहरू वसई कोसंमुहउ न ट्ठाइ ।
विधि - इस मंत्र को ३ बार पढकर अपने वस्त्र के अन्तिम छोर पर बाये हाथ से गाँठ लगावे ता मार्ग मे किसी प्रकार का भय नही होता है ।
मन्त्र :- ॐ नमो भगवऊ गोयमस्स सिद्धस्स बुद्धस्स प्रक्षीरण महारणसस्स तर २ ॐ प्रक्खीण महाणसस्स स्वाहा ।
विधि - स्मरण मात्र से ही लाभ करता है ।
मन्त्र :- ॐ अट्ठे मट्ठे चोर घट्ठे सर्व दुष्ट भक्षी मोहीनी स्वाहा ।
विधि - इस मन्त्र से पत्थरो को मन्त्रित करके दशो दिशाओ मे फेकने से चोरो का भय नही होता है।
मन्त्र :- श्राइवंसे चाइ वंसे अच्चग्रलिय पच्चग्रलियं स्वाहा ।
विधि - इस मन्त्र को स्मरण करने से मार्ग मे भय नही होता है ।
मन्त्र :- ॐ धनु धनु महाधणु २ कट्टि ज्जंतंस्यं न देइ प्रारोपित गुण ।