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लघुविद्यानुवाद
विधि :- यह मन्त्र २१ जपे ( कलवारणी मन्त्र ) ।
मन्त्र :- ॐ चिकिचि हि रिप स्वाहा ।
विधि
- इस मन्त्र से भस्म (राख) को २१ बार मन्त्रित करके चारो दिशाओ मे फेकने से मशक भाग जाते है ।
मन्त्र :- ॐ ठो ठों मातंगे स्वाहा ।
विधि — इस मन्त्र से सरसो २१ बार मन्त्रित करके डालने से चूहे भाग जाते है |
मन्त्र :- ॐ स्वाहा ।
विधि - इस मन्त्र से कन्या के हाथ का सूत कता हुआ ७ बार मन्त्रित करके खटिया के बाघ देने से खटमलो का उपसर्ग दूर होता है ।
मन्त्र :- ॐ हर हर भमर चक्षु स्वाहा ।
विधि :- इस मन्त्र से सुपारी मन्त्रित करके २१ बार फिर खावे तो दाँत के कीडे वाहर ग्रा जाते है |
मन्त्र :- ॐ क्ल्यू क्ली क्लेशिनि सर्व दुष्ट दुरित निवारिणि हूं फट् स्वाहा । ॐ अमृते मृतोद्भवे मृत वषिणी अमृत वाहिनी श्रमृतं श्रावय २ सं सं ह्र ह्रक्लीं २ ब्लु २ द्रां द्री दुष्टान द्रावय २ मम शाति कुरु कुरु पुष्टिं कुरु कुरु दुःखमपनय २ श्री शांतिनाथ चक्र ेन अमृत वर्षिणी स्वाहा । विधि - इस मन्त्र को २१ वार जपे । ( कलवारणी मन्त्र )
मन्त्र :- ॐ समरि समिरि सिद्धो समरी श्रातुरि श्रातुरि पूरि पूरि नागवासिणि तं
श्रत्थि वासिरणी श्राकासु बंध पातालु बंध दिशि वंधु श्रवदिशि बंधु डाकिरिण वंध शाकिरण बंध बंध वंधेरण लंकादही तेरण हणु एरण लोहेन ।
विधि :- इस मन्त्र को २१ बार जपने से सर्व उपद्रव शान्त होते है । ( कलवानी कृते )
मन्त्र :- ॐ हिमवंत स्योत्तरे पार्श्वे कठ कटी नाम राक्षसी तस्यानूपुर शब्देन मकुरणा
दृश्यं ठः ठः स्वाहा ।
इस मन्त्र से कीडा - कीडी प्रदृश्य हो जाते है ।
विधि
मन्त्र : - युधिष्ठर उवाचेत्यधिकंच ते वते कार्य सिद्ध विसवंतो प्रजीत भाट्ठ े किलिकिनिपाते गुदिनिनिपातेषु वातहरिसेसु पीत्त हरीसेसु सिलेसम हरिसेसु