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लघुविद्यानुवाद
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विधि -इस मन्त्र से सात वार (घरट्र पूट ल हण) वस्त्र मे बाधकर डोरे से, बायी प्रॉख दुखे
तो दक्षिण की तरफ वॉधे और दक्षिण की तरफ आँख दुखे तो बायी की तरफ बाँधे, तो
अॉख की पीडा शात होतो है। मन्त्र .-ॐ शांते शांते शॉति प्रदे, जगत् जीवहित शांति करे, ॐ ह्री भगवति शांते
मम शांति कुरु कुरु शिवं कुरु कुरु, निरुपद्रव कुरु कुरु सर्वभयं प्रशमय २,
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौ ह्रः ह्रशांते स्वाहा । विधि -स्मरण मात्र से शाति । मन्त्र :--ॐ नमो भगवऊ वर्द्ध माणस्स वीरे वीरे महावीरे सेरणवीरे जयंते अपराजिए
स्वाहा । विधि -उपाध्यायो के वाचन समय का मन्त्र है, परम्परागत है। प्रात अवश्य ही २१ बार या
१०८ बार स्मरण करना चाहिये, फिर भोजन करना चाहिये। इस मन्त्र के प्रभाव से सौभाग्य की प्राप्ति, आपत्ति का नाश, राजा से पूज्यता को प्राप्त, लक्ष्मी की प्राप्ति दीर्घायु, शाकिनी रक्षा, सुगति । (स्याद्भवात्तरे चेन्न करोति तदोपवासोहड शक्त्यू गुरु पोवादण्ड जावझी व कालावधि अक्षर २७ मन्त्रेसे तिमन्त्रो न कण्याप्यग्रे कथनीय गुरु
प्रशादात् सर्व सफल भवति । मन्त्र -ॐ नमो भगवऊ गोयमस्स सिद्धस्स बुद्धस्स अक्खीया महाणसस्स तर तर ॐ
अक्खीरण महारणस्स स्वाहा ॐ क्षों क्षः क्षः क्षः य. यः यः लः हुं फट् स्वाहा । विधि -अनेन वा साक्षता अभिमन्त्रय गृहादौ प्रक्षिप्ता दोपोनुपमयति । (इस मन्त्र से अक्षत मन्त्रित
कर घर के अन्दर फेक देवे तो सर्व दोप नाश हो जाते है।) मन्त्र :-ॐ नमो भगवऊ अरहरू संतिजिणस्स सिझ (प्य) उ मे भगवइ महाविद्या
संति संति पसंति उवसति सव्वपावं पममेउ त उसव्व सत्तारणं कृपय चउप्पयारणं सति देशेगामागर नगर पट्टणखेडेवा पुरिसारणं इत्थीरणं नपुंसगाणी वा
स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से धूप १००८ बार मन्त्रित करके घर मे अथवा देवदत्त के सामने धृप को खेने
से भूत-प्रेत उमर मारी रोगो की शाति होती है । मन्त्र :- ॐ नमो अगाइ निहणे तित्थयर पगासिएगगहरेहि अणुमन्निए वादशांग
चतुर्दश पूर्व धारिणी शूतिदेवते सरस्वति अवतर अवतर सत्यवादिनि हुं फट् स्वाहा ।