Book Title: Karmagrantha Part 5 Shatak
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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शतक
कर्म प्रकृतियों के क्षेत्रविपाको आदि भेद
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कर्मप्रकृति
क्षेत्रविपाकी
भवविपाकी जीवविपाकी | पुद्गलविपाकी
ओघ १२२
ज्ञाना० ५
दर्शना० ६ वेदनीय २
मोहनीय २८ |
आयु ४
नाम ६७
गोत्र २
अंत राय ५
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बंध के भेद और उनके लक्षण
इस प्रकार से ध्रुवबंधी आदि पुद्गलविपाकी पर्यन्त सोलह वर्गों में प्रकृतियों का वर्गीकरण करने के पश्चात प्रकृतिबंध आदि का वर्णन करने के लिये सबसे पहले बंध के भेद बतलाते है कि 'बंधो पइयठिइरसपएस त्ति' प्रकृति, स्थिति, रस और प्रदेश ये बंध के चार भेद हैं। जिनके लक्षण नीचे लिखे अनुसार हैं
आत्मा और कर्म परमाणुओं के संबधविशेष को अथवा आत्मा
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