Book Title: Karmagrantha Part 5 Shatak
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 452
________________ पंचम कर्मग्रन्थ तो जइजिट्ठो बंधो संखगुणो देसविरय हस्सियरो । सम्मचउ सन्निचउरो ठिइबंधाणुकम संखगुणा ॥ ५१ ॥ सव्वाण वि जिट्ठठिई असुभा जं साइकिलेसेणं । इयरा विसोहिओ पुण मुत्त नरअमर तिरियाउं ॥ ५२ ॥ सुहुमनिगोयाइखणप्पजोग बायरयविगलअमणमणा । अपज्ज लहु पढमदुगुरु पजहस्सियरो असंखगुणो ॥ ५३ ॥ अपजत्त तसुक्कोसो पज्जजहन्नियरु एव ठिइठाणा । अपजेयर संखगुणा परमपजबिए असंखगुणा ||५४ || पइखणमसंखगुणविरिय अपज पइठिइमसंखलोगसमा । अज्झवसाया अहिया सत्तसु आउसु असंखगुणा ||५५ || तिरिनरयतिजोयाणं नरभवजुय सचउपल्ल तेसट्टं । थावरच उइगविगलायवेसु पणसीइसयमयरा ॥५६॥ / अपढमसंघयणागिइखगई अणमिच्छदुभगथीण तिगं । निय नपु इत्थि दुतीसं पणिदिसु अबन्धठिइ परमा || ५७|| विजयाइसु गेविज्जे तमाइ दहिसय दुतीस तेसट्टं । पणसीइ सययबंधो पल्लतिगं सुरविउब्विदुगे ॥ ५८ ॥ समयादसंखकालं तिरिदुगनी सु आउ अंतमुहू | उरलि असंखपरट्टा सायठिई पुव्वकोडूणा ||५|| जलहिसयं पणसीयं परघुस्सा से पणिदितसचउगे । सुहविहगइपुमसुभगतिगुच्चचउरंसे ||६०|| बत्तीसं असुखगइजाइआगिइ संघयणाहारनरयजोयदुगं । थिरसुभजसथावरदसनपुइत्थी दुजुयलमसायं मणुदुर्ग जिणवइरउरलवंगेसु । समयादंतमुहुत्त तित्तीसयरा परमा अंतमुहु लहू वि आउजिणे ॥ ६२ ॥ तिब्वो असुहसुहाणं संकेसविसोहिओ विवज्जयउ । मंदरसो गिरिमहिरयजलरेहासरिसकसाएहि ||६३|| For Private & Personal Use Only Jain Education International ४०५ 118911 www.jainelibrary.org

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