Book Title: Karmagrantha Part 5 Shatak
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 453
________________ ४०६ परिशिष्ट-१ चउठाणाई असुहा सुहन्नहा विग्घदेसघाइआवरणा। पुमसंजलणिगदुतिचउठाणरसा सेस दुगमाई ॥६४।। निंबुच्छरसो सहजो दुतिचउभाग कड्ढिइक्कभागंतो। इगठाणाई असुहो असुहाण सुहो सुहाणं तु ||६५।। तिव्वमिगथावरायव सुरमिच्छा विगलसुहुमनिरयतिगं । तिरिमणुयाउ तिरिनरा तिरिदुगछेवट्ठ सुरनिरया ॥६६।। विउव्विसुराहारदुगं सुखगइ वन्नचउतेयजिणसायं । समचउपरघातसदस पणिदिसासुच्च खवगाउ ।।६७।। तमतमगा उज्जोयं सम्मसुरा मणुयउरलदुगवइरं । अपमत्तो अमराउं चउगइमिच्छा उ सेसाणं ॥६८।। थीणतिनं अणमिच्छं मंदरसं संजमुम्मुहो मिच्छो । वियतियकसाय अविरय देस पमत्तो अरइसोए ।॥६६॥ अपमाइ हारगदुगं दुनिद्दअसुवन्नहासरइकुच्छा । भयमुवघायमपुवो अनियट्टी पुरिससंजलणे ।।७०।। विग्घावरणे सुहुमो मणुतिरिया सुहुमविगलतिगआऊ । वेगुम्विछक्कममरा निरया उज्जोयउरलदुगं ॥७१।। तिरिदुगनिअं तमतमा जिणमविरय निरयविणिगथावरयं । आसुहुमायव सम्मो व सायथिरसुभजसा सिअरा ।।७२।। तसवन्नतेयचउमणुखगइदुग पणिदिसासपरघुच्चं । संघयणागिइनपुत्थीसुभगियरति मिच्छा चउगइगा ।।७३।। चउतेयवन्नवेयणिय नामणुक्कोस सेसधुवबंधी। घाईणं अजहन्नो गोए दुविहो इमो चउहा ।।७४।। सेसंमि दुहा इगद्गणुगाइ जा अभवणंतगुणियाण । खंधा उरलोचियवग्गणा उ तह अगहणंतरिया ॥७॥ एमेव विउव्वाहारतेयभासाणुपाणमणकम्मे । सुहुमा कमावगाहो ऊणूणंगुलअसंखंसो ॥७६।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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