Book Title: Karmagrantha Part 5 Shatak
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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पंचम कर्मग्रन्थ
४०७
।।७८।।
इक्किक्कहिया सिद्धाणंतंसा अंतरेसु अग्गहणा। सव्वत्थ जहन्नुचिया नियणंतसाहिया जिट्ठा ।।७७॥ अंतिमचउफासदुगंधपंचवन्नरसकम्मखंधदलं सव्वजियणंतगुणरसमणुजुत्तमणंतयपएसं एगपएसोगाढं नियसव्वपएसउ गहेइ जिऊ । थेवो आउ तदंसो नामे गोए' समो अहिउ ।।७।। विग्यावरणे मोहे सब्बोवरि वेयणीय जेणप्पे । तस्स फुडत्त न हवइ ठिईविसेसेण सेसाणं ॥८॥ नियजाइलद्धदलियाणंतंसो होइ. सव्वघाईणं । बझंतीण विभज्जइ सेसं सेसाण पइसमयं ।।८।। सम्मदरसव्वविरई अणविसंजोयदंसखवगे य । मोहसमसतखवगे खीणसजोगियर गुणसेढी ।।८२॥ गुणसेढी दलरयणाऽणुसमयमुदयादसंखगुणणाए । एयगुणा पुण कमसो असंखगुणनिज्जरा जीवा ।।८३॥ पलियासंखंसमुह सासणइयरगुण अंतरं हस्सं । गुरु मिच्छी बे छसट्ठी इयरगुणे पुग्गलद्धतो ।।४।। उद्धारअद्धखित्त पलिय तिहा समयवाससयसमए ! केसवहारो
दीवोदहिआउतसाइपरिमाणं ।।८।। दव्वे खित्त काले भावे चउह दुह बायरो सुहुमो । होइ अणंतुस्सप्पिणिपरिमाणो पुग्गलपरट्रो ॥८६।। उरलाइसत्तगेणं एगजिउ मुयइ फुसिय सव्वअणू । जत्तियकालि स थूलो दव्वे सुहुमो सगन्नयरा ॥८७।। लोगपएसोसप्पिणिसमया अणुभागबंधठाणा य । जह तह कममरणेणं पुट्ठा खित्ताइ थूलियरा ।।८।। अप्पयरपयडिबंधी उक्कडजोगी य सन्निपज्जत्तो। कुणइ पएसुक्कोसं जहन्नयं तस्स वच्चासे ॥८
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