Book Title: Karmagrantha Part 4 Shadshiti Nama Tika
Author(s): Devendrasuri, Abhayshekharsuri, Dhirajlal D Mehta
Publisher: Jain Dharm Prasaran Trust Surat
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૧૪
छसु लेसासु सठाणं, एगिंदि असन्निभूदगवणेसु । पढमा चउरो तिन्नि उ, नारयविगलग्गिपवणेसु ॥ ३६ ॥ अहक्खायसुहुमकेवल दुगि सुक्का छावि सेसठाणेसु । नरनिरयदेवतिरिया, थोवा दु असंखणंतगुणा ॥ ३७ ॥ पण चउ ति दु एगिंदी, थोवा तिन्नि अहिआ अनंतगुणा । तस थोव असंखग्गी, भूजलनिलअहियवणणंता ॥ ३८ ॥ मणवयणकायजोगी, थोवा असंखगुण अनंतगुणा । पुरिसा थोवा इत्थी, संखगुणाणंतगुण कीवा ॥ ३९ ॥ माणी कोही माई लोही अहिय मणनाणिणो थोवा । ओहि असंखा मइसुय, अहिअ सम असंख विभंगा ॥ ४० ॥ केवलिणो णंतगुणा, मइसुयअन्नाणि णंतगुण तुल्ला । सुहुमा थोवा परिहार, संख अहक्खाय संखगुणा ॥ ४१ ॥ छेय समइय संखा, देस असंखगुण णंतगुणा अजया । थोव असंख दुणंता, ओहि नयण केवल अचक्खु ॥ ४२ ॥ पच्छाणुपुव्वि लेसा, थोवा दो संख णंत दो अहिया । अभवियर थोव णंता, सासण थोवोवसम संखा ॥ ४३ ॥ मीसा संखा वेयग, असंखगुण खइय मिच्छ दु अणंता । सन्नियर थोव णंता, णहार थोवेयर असंखा ॥ ४४ ॥ सव्वजिअट्ठाण मिच्छे, सग सासणि पण अपज्ज सन्निदुगं । सम्मे सन्नी दुविहो, सेसेसुं सन्निपज्जत्तो ॥ ४५ ॥ मिच्छदुगि अजइजोगाहारदुगूणा अपुव्वपणगे उ । मणवइउरलं सविउव्व, मीसि सविउव्वदुग देसे ॥ ४६ ॥ साहारदुग पमत्ते, ते विउव्वाहार मीस विणु इयरे । कम्मुरलदुगंताइममणवयण सजोगि न अजोगी ॥ ४७ ॥
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