Book Title: Karmagrantha Part 4 Shadshiti Nama Tika Author(s): Devendrasuri, Abhayshekharsuri, Dhirajlal D Mehta Publisher: Jain Dharm Prasaran Trust SuratPage 13
________________ १२ सामाइय छेय परिहार, सुहूम अहखाय देस जय अजया । चक्खु अचक्खु ओही, केवल दंसण अणागारा ॥ १२॥ किण्हा नीला काउ, तेऊ पम्हा य सुक्क भव्वियरा । वेयग खइगुवसम मिच्छ, मीस सासाण सन्नियरे ॥१३॥ . आहारेयर भेया, सुरनरयविभंगमइसुओहिदुगे । सम्मत्ततिगे पम्हा, सुक्कासन्नीसु सन्निदुगं ॥१४॥ तमसन्निअपज्जजुयं, नरे सबायर अपज तेउए। थावर इगिदि पढमा, चउ बार असन्नि दुदु विगले॥ १५॥ दस चरम तसे अजयाहारगतिरितणुकसायदुअन्नाणे । पढमतिलेसाभवियर अचक्खुनपुमिच्छि सव्वे वि ॥१६॥ पजसन्नी केवलदुगे, संजममणनाण देसमणमीसे । पण चरिम पज वयणे, तिय छ व पजियर चक्खूमि ॥१७॥ थीनरपणिंदि चरमा चउ, अणहारे दु सन्नि छ अपज्जा । ते सुहुम अपज विणा, सासणि इत्तो गुणे वुच्छं ॥१८॥ पण तिरि चउ सुरनिरए, नरसंनिपणिंदिभव्वतसि सव्वे । इगविगलभूदगवणे, दु दु एगं गइतसअभव्वे ॥१९॥ . वेय तिकसाय नव दस, लोभे चउ अजय दु ति अनाणतिगे। बारस अचक्खुचक्खुसु, पढमा अहखाइ चरम चऊ ॥२०॥ मणनाणि सग जयाई, सामाइयछेय चउ दुन्नि परिहारे । केवलदुगि दो चरमा-जयाइ नव मइ सुओहिदुगे ॥२१॥ अड उवसमि चउ वेअगि, खइए इक्कारमिच्छतिगि देसे। सुहुमे य सठ्ठाणं तेरस, जोगे आहार सुक्काए॥ २२॥ असन्निसु पढमदुर्ग, पढमतिलेसासु छच्च दुसु सत्त । पढमंतिमद्गअजया, अणहारे मग्गणासु गुणा॥ २३॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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