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विश्वास करे छे, परंतु अंदरथी एवं होतुं नथी. कोईनो पण विश्वास करतो नथी. १५. ज्यारे धर्म अर्थ अने कामनुं एक बीजानो विरोध कर्या विना यथोचित सेवन कराय छ; अर्थात् केवळ धर्मज सेवन करातो नथी, तेम अर्थ ( धन ) अने काम पण नहि, परंतु त्रणे जीतवा जोईए. तेटला परिमाणमां सेवन कराय छे, त्यारेज निर्विघ्ने सुख प्राप्त थाय छे, अने पछी अनुक्रमे मोक्ष अर्थात् चोथा पुरुषार्थनी प्राप्ति थाय छे. १६. तेथी तथा राजाओए सुख प्राप्त करवानी इच्छाथी धर्म अने अर्थ छोडवा नहि; अने जो आप केवळ कामद्वारा सुखनी इच्छा करता हो, तो ते थइ शकती नथी, कारणके निर्मूळने सुख क्या ? अर्थात् कामना मूळभूत धर्म अने अर्थ (धन) छे. ज्यारे ए बन्नेज नहि होय, त्यारे कामसेवन केवी रीते होय ? १७. जे वस्तु नाश पामनार छे अने आगळ आववावाळी छे, तेने पहेलां प्राप्त करवी जोइए. अने ज्यारे ते प्राप्त थइ गइ, त्यारे तेना फळोनो विचार करीनेज आगळ कोइ उपाय करवो जोइए, नहि तो पश्चात्ताप करवो पडे छे. १८.
जो के मंत्रिओए राजाने ए रीते सर्व उंचुनाचु जणाव्यु, तोपण तेणे मूर्खताथी काष्टांगारने राज्यभार सोंपी दीधो; सत्य छे के, बुद्धि कर्मने अनुसार काम करे छे, अर्थात् जेजु थनार होय छे तेवीज बुद्धि मुझे छे. १९. विरक्त पुरुषोनो समय विषय भोगादिकनो आंधळो विचार करवामां अर्थात् तेने मूर्खतानुं काम समजवामां व्यतीत थाय छे, परंतु राजा प्रबळ भोगादिकथी