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पासे जई पहोंची, कारण के प्रशंसनीय अने निर्मळ विद्या लोकमां कई वातनो प्रकाश करती नथी ? अर्थात् उत्तम विद्याथी आ लोकमां बधी वातनो निर्णय थई जाय छे. १९. त्यारे जीवंधरे गुणमालाना सुगन्धित द्रव्यने सारी रीते जोईने तेने गुणवाडं कह्यु; अर्थात् गुणमालाना चूर्णनी प्रशंसा करी (अने मुरमंजरीना चूर्णने गंधरहित कह्यं). सत्य छे के पदार्थोना गुण अने दोषनो निर्णय करवो तेज पांडित्य छे. २०. सुरमंजरीनी दासी आ वात सांभळीने क्रोधमां आवी गई अने बोली,-"जे बीजाओए कह्यु हतुं, तेज आपे पण कही दीधुं. शुं तेमणे आपने पण भणाव्या डे-शीखव्यु छ ? ” २१. आ सांभळीने स्वामीए ते बन्ने चूर्णोना गुण अने दोषोनो निर्णय माखीओ द्वारा को. खरूंछे, के जो बुद्धिमानो पासे विवादरहित विधि न होय, तो पछी तेमनी चतुराइज शा कामनी ? २२. तेमणे बीजा चूर्णने अर्थात् सुरमंजरीना चूर्णने खराब कह्यु, कारणके ते अकाळमां (खोटेवखते) बनाववामां आव्युं हतुं, तेथी सुगंधीरहित थइ गयुं हतुं. ठीक छे के जे काम वखत वगर करवामां आवे छे, तेथी कार्यनी सिद्धि थती नथी. २३. त्यार पछी ते बन्ने दासीओ कुमारनी स्तुति अने वन्दना करीने चाली गइ. सत्य छे के जे पुरुष सत्यनो निर्णय विवाद रहित करी दे छे, तेनी कोण स्तुति करतुं नथी ? २४. परंतु आ वात सुरमंजरीने विरागर्नु कारण थइ गइ, कारण के जेना मनमा इर्ष्या भरेली होय छे, तेने न्यायनी वात सारी लागती नथी. २५. गुणमालाए सुरमंजरी- .