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प्रकरण ७ मुं.
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छी सुयोग्य स्वामीए ए स्त्री साथे केटलुक सुख अनुभवीने त्यांथी बीजा स्थानमां जवानी चेष्टा करी. १. अने बहुज रात्रीओ व्यतीत थवा पछी
स्वामी कह्या विनाज चाल्या गया, कारण के भोळा लोक सज्जनोना वचनमां कदी विश्वास करता नथी; अर्थात् पतिना विश्वासमां आवीने स्त्रीओ तेने कदी जवा देती नथी. २. ते स्त्री तेना वियोगमां बळेली रसीना समान दुबळी अने कान्ति वगरनी थई गई. कारण के परणेली स्त्रीओना, प्राण तेना पतिज होय छे, बीजा कोई नहि. ३. सुभद्र पण ते पवित्र स्वामीने शोधीने ते न मळवाथी मनमां बहु दुःखी थया, कारण के जे वस्तु बहु यत्नथी मळे अने जो ते हाथथी चाली जाय, तो मनमां बहु खेद थाय छे. ए रीते जीवंधरनो विरह सहन थयो नहि. ४. प्रशस्त बुद्धिवाळा स्वामीए जती वखते ए विचार्यु के, हुं मारां आभूषणो आपी दउं, कारण के बुद्धिमानोने बुद्धिज भूषण छे, बीजां आभरणादि दोषने माटेज होय छे. ५. ते वखते तेमणे पोतानां आभूषणोने कोइ: धार्मिक पुरुषने आपी देवानो संकल्प कर्यो, कारणके जे वस्तु पात्रने आपवामां आवे छे ते एक वस्तु पण बीजनी माफक हजारघणी