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साथे मित्रता थई गई छे अने ढंढेरो पण पीटाव्यो, कारण के समाचारनी सूचना गमनथी पण पहेलांज पहोंची जाय छे; अर्थात् पोताना जवा पहेलांज ए समाचार त्यां पहोंची जशे, आ विचारथी तेणे ढंढेरो पीटाव्यो. १७. त्यार पछी आ चतुर राजाए एक बहु भारे चतुरंगिनी सेना तैयार करी, कारणके पोताना शत्रुना कामोनी प्रबळतानो विचार करीनेज उपाय नक्की करवामां आवे छे. १८. त्यार पछी गोविन्दराज मुनि, आर्जीका, वगेरे पात्रोने दान आपीने सारा मुहूर्तमां पोताना नगरथी नीकळ्या, कारण के दानपूजा करनारनां तथा तप अने शीयलनुं पालण करनारनां एवां कयां काम छ के, जे सिद्ध थतां नथी ? अर्थात् सर्व कार्य सिद्ध थाय छे. १९. पछी ए वहु भारे सेनाना स्वामी राजमार्गोमां केटलाक पडाव नांखीने राजपुरी पहोंच्या अने त्यां राजपुरीनी पासे कोई स्थानमा रह्या. २०.
आ वखते काष्ठांगारे गोविन्दराजने वारंवार बहुज भेटो मोकली, परंतु व्यर्थ. हाय ! ए कपटी लोक चतुर माणसोनी माफक मायाथी आचरण करे छे. २१. अहींथी स्वामीना मामाए पण बदलानी भेट मोकली, कारण के ज्यां सुधी मनोरथ पुरा न थाय, त्यां सुधी शत्रुओनी आरधना करवीज जोईए. २२. ___त्यार पछी गोविन्दराजे एक चंद्रकयंत्र तैयार कराव्यु, जेमां त्रण भुंड बनावेलां हता, अने ढंढेरो फेरव्यो के, जे कोई पुरुष आ यंत्रना त्रणे मुंडने एकी वखते छेदशे, तेने हुं