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प्रकरण ११ मुं.
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त्यार पछी बुद्धिमान महाराज राज्यलक्ष्मी अने लक्ष्मणाने प्राप्त करीने बहुज प्रसन्न थया, कारण के लांबा वखतथी इच्छेली वस्तु भळवाथी बहु भारे तृप्ति अथवा प्रसन्नता थाय छे. १. राज्य मळवाथी राजाना बधा गुण शोभायमान थवा लाग्या. सत्य छे के हारमां जो का परोववामां आवे तो ते खराब जणाय छे. परंतु जो मणि परोववामां आवे तो बहुज शोभायमान थाय छे- तेनो गुण वधी जाय छे. तात्पर्य ए के, जीवंधर जो के एवाज गुणवान हता, परंतु राज्य प्राप्त करवाथी तेथी पण विशेष गुणोथी शोभायमान थवा लाग्या. २. संपत्ति अने विपत्तिमां बुद्धिमानोनी एकज वृत्ति रहे छे. सत्य छे के, नदीना पाणीना आववाथी समुद्रमां कोई प्रकारनो विकार उप्तन्न थतो नथी, ते ज्यां के त्यां रहे छे. अभिप्राय ए छे के, राज्य वैभव मळवाथी पण जीवंधर कुमारनी वृत्तिमां कं विकार थयो नहि. ३.
हवे जीवंधर महाराजां बधां सुख दुःख प्रजाने आधीन थई गया; अर्थात् प्रजानां सुख दुःखथी ते पोताने सुखी दुखी समजवा लाग्या, कारण के जन्म आप्या सिवाय बीजा बधा