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प्रकरण ८ मुं.
नकमाला साथे परण्या पछी बुद्धिमान जीवंधर कुमार तेमां अतिशय अनुरक्त रह्या नहि-तटस्थ रह्या, कारण के जे अनुराग अथवा विषय
भोगना समुद्रमा अवगाहन करे छे, ते जीवता नथी, अर्थात् विषयसमुद्रमां डूबी जाय छे. अने तेज जीवे छे के, जे आ समुद्रना किनारापरज रहे छ; अर्थात् जे विषयभोगथी अलग रहे छे—निमग्न थता नथी, तेज सुखी रहे छे. १. हेमाभा नगरीमा बुद्धिमान कुमार पोताना साळाना प्रेमथी बहु वखत सुधी रह्या, कारण के पोताना प्यारामां मोहज थइ जाय छे अने प्रेमभाव बहुज मनोहर होय छे. २. त्यां बहु वखत वीती गयो, परंतु तमने तेथी कई पण खेद थयो नहि, कारण के प्यारा मित्रोनी साथे रहेवाथी एक वर्ष पण एक क्षण समान वीती जाय छे. ३.
हवे एक दिवस कोई स्त्री तेमनी पासे मश्करी करती आवीने बेठी. सत्य छे के स्त्रीओनी चेष्टा स्वभावथीज चित्तने मोहित करनार होय छे. ४. त्यारे कुमारे कोई मतलबथी आवेली ते स्त्रीने आदरपूर्वक पूछयु के-"तमे अहीं केम आव्यां?" ठीकज छे, के जे कोई पुरुष कई वार्तालाप करवानुं इच्छे छे,