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हता के, 'मारे हवे शुं करवू जोइए' तेथी तेमणे यक्षने याद कर्यो, जेथी करीने यक्ष तत्काळज आवीने तेमने उठावी गयो. सत्य छे के, चेतन पुरुष उपकारने बदले प्रत्युपकार केम करे नहि ? अर्थात् अवश्यज करे छे. १४.
पछी लोकोए अत्यंत शोकित थईने ए विचार को;'लोक गुणना ओळखनार होय छे' एवी जे प्रसिद्ध कहेवत छे ते बिलकुल खरी छे. १५. "दुष्ट बुद्धिवाळा काष्ठांगारनी आ बहु भारे धूर्तता छे, परंतु पोताना खामी राजानी साथे पण द्रोह करवाथी जे डरता नथी, तेमने तो आटली धूर्तता कई पण नथी; अर्थात् ते तो एथी पण वधारे धूर्तता करी शके छे. १६. हाय ! यम अथवा धर्मराज पण जे सर्वनी साथे एक सरखो वर्ताव करे छे, ते पण नीच राजानी माफक दुराचारी थई गया. बहु खेदनी वात छे के, ते पण निःसार समझीने दुर्जनोने लेता नथी. १७. जेवी रीते हंस पक्षी पाणीमाथी साररुप दूधने ग्रहण करी ले छे, तेज रीते सज्जन पुरुष जे कांई सांभळे छे, तेमांथी सार ग्रहण करी ले छे अने दुष्ट पुरुष पोतानी रुचि अनुसार काम करे छे. १८ सुजनतानु लक्षण एज छे के, बीजा कोई हेतु उपर ध्यान न देतां गुण अने दोष होवा छतां फक्त गुणोने ग्रहण करे छे अने दोषने त्यागी दे छे. जेम हंस दूधने पी ले अने पाणीने जुएं करी नांखे छे तेम. १९. बहु भारे बुद्धिमान पंडित अने प्रतापी राजा थईने पण जो योग्य अने अयोग्यनो विचार करीने युक्तिसिद्ध अने उचित कार्यथी विमुख थई