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विचार क्यां रहे छे ? अर्थात् कामी माणस ए विचारतो नथी के, मारे आ वात करवी जोइए अने आ वात करवी जोइए नहि. ३८. पोपट पण तेने जोइने पोताना अभिप्रायनी सिद्धि माटे खुशामद करवा लाग्यो, कारणके एवी खुशामदीज बीजा लोक वश करवामां आवे छे. ३९. 'बधा विषयोमा पोतानी ईच्छाओने हमेशा सफळ करनार अने पोताना माननीय गुणोनी रक्षा करनार अथवा सर्व जगतमां स्तुत्य गुणमालाने जीवतदान आपनार तमो दीर्घायुष्य रहो.'' ४०. आ आशीर्वाद सांभळीने कुमार पण ते पोपटना संदेशाथी बहु प्रसन्न थया, कारण के इष्ट स्थानमां दृष्टि थवाथी अधिक प्रसन्नता अने हर्ष थाय छे. ४१. पछी जीवंभरे पण पोपटना संदेशानो प्रत्युत्तर कों, कारण के जे पुरुष बुद्धिमान होय छे, ते पोतानी अपेक्षा करनारनी उपेक्षा करता नथी; अर्थात् जे पोतानी पासेथी कंई इच्छे छे, तेनो तिरस्कार करता नथी, पण ते पर ध्यान दे छे. ४२. गुणमाला पण पक्षीने पत्र सहित जोईने बहु प्रसन्न थई, कारण के पोतानो करेलो यत्न सफळ थवाथी अधिक प्रीति थाय छे. ४३. पछी तेनां माबाप पण आ वात सांभळीने बहुज प्रसन्न थयां, कारण के आ संसारमा भाग्यवान अने योग्य वरनुं मळवू बहु कठण होय छे. ४४. ते पछी कोई वे अपरीचित प्रख्यात पुरुष गन्धोत्कटनी पासे आव्या. ( अने तेमणे जीवंधर-गुणमालाना संबंधना विषयमा चाडी खाधी). सत्य छे, के नीचनी मनोवृत्ति