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नहि; पुण्यरहित पापीओने पापy | फळ नथी मळतुं ? अर्थात् आ सर्व अमारा पापमुंज फळ छे. जो दीवानो प्रकाश जतो रहे छे तो पछी अंधकार संततिने बोलाववानीज शुं अपेक्षा छ ? अर्थात् दीपकना होलवातांज अंधकार पोते पोतानी जातेज आवे छे. ए रीते पुण्य के धर्मनो नाश थवाथी पापनो उदय थाय छे अने पाप, खराब फळ अवश्य मळे छे. ५८. जोबन, शरीर अने धन ए सर्वनो नाश थाय छे, एमां कांइ नवाइनी वात नथी. पाणीनो परपोटो बहु वखत सुधी टकवामां आश्चर्य छे. तेनो नाश थवामां कंइ अचरज नथी. ५९. जेनो संयोग थयो छे तेनो वियोग अवश्य थाय छे. बाजूं तो शुं, पण आ अंगनो अंगनी साथे पण योग रहेतो नथी; अर्थात् देही (जीव) देह छोडीने आ संसारथी एकलो चाल्यो जाय छे. ६०. जो के आ संसार अनादि छे, तो कोइने कोइनी साथे मित्रता नथी अने कोईने कोईनी साथे शत्रुता नथी; अर्थात् कोई पूर्व जन्ममां एक बीजाना मित्र अने शत्रु थई चुक्या छे, तेथी कोईने सर्वथा शत्रु अने मित्र मानवो कल्पना मात्र छे. आ सर्व जुठी कल्पना छे. ६१. राजानां आ प्रकारनां धर्मयुक्त वचनोए राणीना हृदयमां घर कर्यु नहि; कारण के जो बळेली जमीनमा बी वाव्युं होय, तो तेमां अंकुर कदापि फूटता नथी.६२.
त्यार पछी राजाए पोतानी गर्भवती राणीने केकियंत्रमा बेसाडीने पोतेज ते यंत्रने उडाडयुं ! अहो ! दैव केवो कठोर