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चांदी सिवाय तांबा पीतळनी धातुओने खरीदे छे अने वेचे छे अर्थात् जे पैसा टकाना व्यवहार कर्या करे छे, ते राजाओने योग्य एवी सुंदर स्त्रीओने केवी रीते लइ ले ? आ बहु आश्चयनी वात छे. ४९.” ए रीते भडकाववाथी ते राजा युद्ध करवा लाग्या, कारणके बुद्धि स्वभावधीज अकार्य करवाने तत्पर थइ जाय छ, पछी खोटी शीखामण पामवाथी तो कहेवुज शुं ? अर्थात् एवी अवस्थामां तो खोटा कार्यमा प्रवृत्त थाय छेज. ५०. परंतु ते धनुर्धारियोना चक्रवर्तीथी ते बधा राजा हारी गया. हजारो कागडाना एकत्र थवाथी शुं प्रयोजन नीकळे छे ? ते बधाने माटे तो एक पत्थरज बहु छे. ५१.
बधा सज्जन पुरुषोए हर्षथी ए कह्यु के-आ कन्या मन योग्य पुरुषमां आशक्त थयुं छे. आ लोकमां चंद्रमाथीज अमृतनी उत्पत्ति थाय छे. शु आ आश्चर्य छ ? अर्थात् आमां कोई आश्चर्यनी वात नथी. तेने एवोज योग्य वर मळवो जोईतो हतो. ५२.
त्यार पछी अग्निने साक्षी आपीने श्रीदत्ते आपेली गंध. वदत्ताने जीवकस्वामी विधिपूर्वक परण्या. ५३.
आ प्रमाणे श्रीमान् वादीमसिंहसूरिए रचेल श्री क्षत्रचूडामणि ग्रंथमां 'गंधर्वदत्तालम्भ' नामे त्रीजुं प्रकरण पूर्ण थयु.