Book Title: Jine ke Usul
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 10
________________ जीने का उसूल अनुभूति अनुभूति को अभिव्यक्ति के सहारे की आवश्यकता नहीं होती। अनुशासन उसी का अनुशासन प्रभावी होता है जिसका अपने आप पर नियंत्रण है। अन्तर्जगत जो अन्तर्मन में प्रेम और शांति से जीता है, वह भीतर के जगत का सम्राट् है। अन्तर्भावना हमारे कदम सच्चाई से गिरने लगें, तो हे प्रभु, तू हमें थामना। हमारी प्रार्थनाओं के फल हमें लौटाना कि हम सत्य पर अडिग रहें। अन्तर्-सजगता अन्तर्मन में सजगता हो तो हर बुरी आदत पर विजय पाई जा सकती है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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