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नव तस्व।
(१५) ५ उच्चार पासवण खेल जल संघायण परिठावणिया समिति ।
तीन गुप्तिः -६ भन गुप्ति ७ व बन गुप्ति ८ काय गुप्ति ।
२२ परिषहः-६ तुधा परिषह १० तृषा परिषह ११ शीत १२ ताप १३ डंस-मत्सर १४ अचल १५ अरति १६ स्त्री १७ चरिया १८ निसि हिया १९ शय्या २०
आक्रोरी २१ वध २२ याचना २३ अलाभ २४ रोग २५ तृण स्पर्श २६ मैल २७ सत्कार पुरस्कार २८ प्रज्ञा २६ अज्ञान ३० दर्शन ( इन २२ परिषह का जप )
१० यनि धर्षः-३१ शांति ३२ निर्लोभता ३३ सरलता ३४ कोमलता २५ अल्पोपधि ३६ सत्य ३७ संयम ३८ तप ३६ ज्ञान दान ४० ब्रह्मवर्य ( इन १० यति धर्म का पालन करना)
१२ भावनाः-४१ अनित्व भावनाः -संसार के सब पदार्थ धन, यौवन, शरीर, कुटुम्बादिक अनित्य, अस्थिर हैं व नाशवान हैं इस प्रकार विचार करना ।
४२ अशरण भावना:-जीव को जब रोग पीड़ादिक उत्पन्न होवे तब कोई शरण देने वाला नहीं, लक्ष्मी, कुटुंब परिवार आदि कोई साथ में नहीं आता ऐसा विचार करना।
४३संसार भावना:-जीव कर्म करके संसार में चोरासी लाख जीव योनि के अन्दर नव नवी समान भटके । पिता मर
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