Book Title: Jain evam Bauddh Shiksha Darshan Ek Tulnatmak Adhyayana
Author(s): Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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जैन एवं बौद्ध धर्म-दर्शन तथा उनके साहित्य प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रथम भाग के आकंखेय्यसुत्त में भिक्षुओं को शील सम्पन्न तथा प्रातिमोक्षरूपी संयम से संयमित होकर विहार करने का निर्देश दिया गया है।९६ चौथे भाग के महा-अस्सुर-सुत्त तथा चूल-अस्सुर-सुत्त में भिक्षुओं के कर्तव्यों को प्रकाशित किया गया है।९७ पाँचवें भाग के महावेदल्लसत्त में वेदना, संज्ञा, शील, समाधि और प्रज्ञा के महत्त्व को बताया गया है। सातवें भाग के चूलमालुक्य सुत्त में आध्यात्मिकता के प्रति उदासीनता दिखायी गयी है। चूलमालुक्य द्वारा पूछे गये लोक शाश्वत है या अशाश्वत आदि दस प्रश्नों को अव्याकृत बताते हुए भगवान् ने इन सब प्रश्नों को वैराग्य, निरोध, शान्ति, परमज्ञान तथा निर्वाण आदि के लिए अनावश्यक बताया है। किन्तु प्रश्न उठता है कि सब कुछ अव्याकृत है तो व्याकृत क्या है? बुद्ध ने कहा मैंने व्याकृत किया है दु:ख के हेतु को, दुःख के निरोध को तथा दुःख निरोधगामिनी प्रतिपद को।९८ खुद्दकपाठ
'खुद्दकपाठ' 'खुद्दकनिकाय' का एक भाग है। 'खुद्दकनिकाय' में छोटे-छोटे पन्द्रह ग्रन्थों का संकलन है। लेकिन इनकी भाषा-शैली में समानता नहीं है। खुद्दकपाठ 'खुद्दकनिकाय' का पहला वर्गीकरण है, जिसमें छोटे-छोटे नौ पाठों का संकलन है और जो 'सुत्तपिटक' तथा 'विनयपिटक' के कुछ विषयों को लेकर संग्रहीत किया गया है। यह संकलन शिक्षा प्राप्त करनेवाले प्रारम्भिक स्तर के विद्यार्थियों के लिए किया गया है। यह ग्रन्थ नागरी लिपि में अनुवादित है जिसका सम्पादन पं० राहुल सांकृत्यायन, आनन्द कौसल्यायन एवं जगदीश काश्यप आदि विद्वानों ने किया है। भिक्षुधर्मरत्न द्वारा अनुवादित हिन्दी भाषा में भी यह ग्रन्थ प्राप्त होता है। ___'खुद्दकपाठ' के प्रथम पाठ में सर्वप्रथम त्रिशरण की शिक्षा दी गयी है। इस त्रिशरण को तीन बार बोलने का विधान है। दूसरे पाठ में विद्यार्थियों को सदाचार-सम्बन्धी नियमों को बताते हुए दस बातों से विरत रहने का निर्देश दिया गया है, यथा- जीव हिंसा, चोरी, व्यभिचार, असत्य भाषण, मद्यपान, असमय भोजन, नृत्य-गीत, माला, गन्ध विलेपन, ऊँची और बड़ी शय्या का उपयोग, सोने-चाँदी आदि का ग्रहण इत्यादि।९९ तीसरे पाठ में केश, रोम, नख आदि शरीर के बत्तीस अंगों का वर्णन किया गया है। चौथे पाठ में कुमार विद्यार्थियों के लिए कुछ प्रश्नों को बताया गया जिसके द्वारा वे बौद्ध शिक्षा के प्रारम्भिक बात को सीखते थे, यथा- एक क्या? दो क्या है, तीन क्या है? आदि । तत्पश्चात् पाँच पाठों में गृहस्थ के दैनिक नियमों को बताया गया है।
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