Book Title: Jain evam Bauddh Shiksha Darshan Ek Tulnatmak Adhyayana
Author(s): Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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१८६ जैन एवं बौद्ध शिक्षा-दर्शन : एक तुलनात्मक अध्ययन (३०) जो अंधा और बहरा हो, और (३१) जो गूंगा और बहरा हो।
उपर्युक्त अयोग्यताओं का जिन विद्यार्थियों में अभाव होता था वे प्रव्रज्या संस्कार ग्रहण करने के अधिकारी होते थे। उपसम्पदा संस्कार
__ श्रामणेर जब दस शील के आचरण में अभ्यस्त हो जाता था तब उसे भिक्षु पद की दीक्षा दी जाती थी। यह दीक्षा ही उपसम्पदा संस्कार है। यह बौद्ध शिक्षा-प्रणाली का अन्तिम संस्कार है जो प्रव्रज्या के पाँच वर्ष बाद अर्थात् जब विद्यार्थी २० वर्ष का हो जाता था तब सम्पादित होता था। इस संस्कार के उपरान्त ही भिक्षु अपनी सदस्यता को प्राप्त किया हुआ समझा जाता था। प्रव्रज्या संस्कार तो केवल अल्पकाल के लिए होता था लेकिन उपसम्पदा संस्कार जीवन भर के लिए। बौद्ध धर्म के अनुसार उपसम्पदा संस्कार होने पर श्रमण पक्का भिक्षु हो जाता है। गृहस्थी तथा सांसारिकता से उसका कोई सम्बन्ध नहीं रह जाता है। संस्कार की विधि
इस संस्कार के सम्पादन की विधि को बताते हुए कहा गया है- उपसम्पदा संघ के विशिष्ट योग्यता प्राप्त भिक्षुओं के समक्ष होता था, जहाँ वह उपाध्याय का चुनाव कर संघ से उपसम्पदा की याचना करता था। उपसम्पदापेक्षी संघ के पास जाकर दाहिने कंघे को खोल, एक कंधे पर उत्तरासंघ अर्थात् उपरना को करके भिक्षुओं के चरणों में वन्दना कर, उकडूं बैठकर, हाथ जोड़कर ऐसा कहता था- 'भन्ते! संघ से उपसम्पदा पाने की इच्छा करता हूँ, भन्ते! संघ दया करके मेरा उद्धार करे।'९६ यह उक्ति तीन बार कही जाती थी। तत्पश्चात् संघ का एक भिक्षु श्रमण का परिचय करवाते हुए संघ को सम्बोधित करता था- 'भन्ते! संघ मेरी सुने। अमुक (उपसम्पदापेक्षी का नाम) नामवाला, अमुक नामवाले भिक्षु को उपाध्याय बना, अमुक नामवाले आयुष्मान का शिष्य, अमुक नामवाला यह पुरुष उपसम्पदा चाहता है। यदि संघ उचित समझे तो अमुक नाम को अमुक नाम के उपाध्याय के उपाध्यायत्व में उपसम्पदा करे।९७ तब संघ के श्रेष्ठ भिक्षु उपसम्पदापेक्षी से तेरह प्रकार के प्रश्न पूछते थे जो इस प्रकार हैं - क्या तुम इन तेरह बीमारियों से मुक्त हो?- (१) कोढ़, (२) गण्ड- एक प्रकार का बुरा फोड़ा, (३) विलास- एक प्रकार का बुरा चर्मरोग होता है, (४) शोथ, (५) मृगी, (६) तू मनुष्य है, (७) तू पुरुष है, (८) तू स्वतन्त्र है, (९) तू उऋण है, (१०) तू राजनैतिक तो नहीं है, (१०) तुझे माता-पिता से अनुमति प्राप्त है, (१२) तू पूरे बीस वर्ष का
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