Book Title: Jain evam Bauddh Shiksha Darshan Ek Tulnatmak Adhyayana
Author(s): Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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शिक्षार्थी की योग्यता एवं दायित्व
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(५) जिसकी नाक कटी हो। (६) जिसके नाक और कान दोनों कटे हों। (७) उँगली कटी हो। (८) जिसकी अंगुलियों का अग्र भाग कटा हो। (९) जिसकी अंगुलियों की पोर कटी हो। (१०) जिसके पास सभी अंगुलियों का अभाव हो अर्थात् जिसका हाथ सर्प की फण
जैसा हो। (११) जो कुबड़ा हो। (१२) बौना हो। (१३) घेघ से ग्रसित हो। (१४) जो लक्षणाहत हो अर्थात् जिसको सजा रूप में आग से दागा गया हो। (१५) जिसको कोड़े से मारा गया हो। (१६) जो लिखितक हो। (१७) जो सीपदि रोग से ग्रसित हो। (१८) बुरे रोग वाला हो। (१९) परिषद् दूषक हो। (२०) जो एक आँख से देखता हो अर्थात् काना हो। (२१) लूला हो। (२२) लंगड़ा हो। (२३) जो पक्षाघात करता हो। (२४) जिसमें अच्छे रहन-सहन का अभाव हो। (२५) जो बुढ़ापे के कारण कमजोर हो गया हो। (२६) जो नेत्रहीन हो। (२७) गूंगा हो। (२८) बहरा हो। (२९) जो अन्धा और गूंगा हो।
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