Book Title: Jain Vidya 09
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 15
________________ कविश्री जोइन्दु व्यक्तित्व और कृतित्व -डॉ. प्रादित्य प्रचण्डिया 'दीति' शतसहस्र जीवों के तिमिरपूर्ण जीवन को अपने अन्तस् के आलोक से आलोकित करनेवाले अनेक भारतीय सन्तों, साधकों और विचारकों का जीवन-वृत्त आज भी तिमिराच्छन्न है । अपने स्वभाव और परिपाटी परिपालन के कारण अपने विषय में उन्होंने कुछ नहीं कहा है अपितु अपने कार्यों/चरित्रों को अधिकाधिक रहस्यमय रखने का प्रयास किया है । आज हम ऐसे महामनीषियों, सुविज्ञों के प्रामाणिक जीवनवृत्त और तथ्यों से सर्वथा वंचित और अनभिज्ञ हैं । इन तक पहुंचने के लिए परोक्ष-मार्ग का अवलम्बन लेते हैं, कल्पना के मचान पर आरूढ़ होते हैं, अनुमान-आर्णव में अवगाहन करते हैं । कविश्री जोइन्दु भी उनमें से एक सुधी साधक और काव्य-गगन के ज्योतिर्मय नक्षत्र हैं जिनके विषय में प्रामाणिक तथ्यों का अभाव है । प्रस्तुत आलेख में अध्यात्मवेत्ता अपभ्रंश-कविश्री जोइन्दु के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालना हमारी मुख्य ईप्सा है । नामकरण अध्यात्मवेत्ता जोइन्दु के जीवन के सन्दर्भ में कोई वर्णन नहीं मिलता। उनके ग्रन्थों में भी उनके नाम, जीवन तथा स्थान के बारे में कोई निर्देश नहीं मिलता । कविश्री जोइन्दु विरचित परमात्मप्रकाश में उनका नाम 'जोइन्दु' उल्लिखित है । यथा भावि पणविवि पंच गुरु सिरि-जोइन्दु जिणाउ । भट्टपहायरि विष्णविड़ विमल करेविण भाउ ॥ प.प्र. 1,8

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