Book Title: Jain Vidya 09
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan
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जनविद्या
पं. साहुणो
(20) साहुत्तो, साहूो, साहूउ, साहूहिन्तो, साहुत्तो, साहूप्रो, साहूउ साहू हिन्तो (53) साहूसुन्तो (14) ष. साहुणो, सोहुस्स (20, 50, 8) साहूण, साहूणं (4, 10, 50, 60) स. साहुम्मि (54)
साहूसु, साहूV (14, 60) सं. हे साहू, हे साहु (30)
हे साहउ, हे साहसो, हे साहवो, हे साहुणो हे साहु (59)
उकारान्त पुल्लिग (सयंभू) एकवचन
बहुवचन प्र. सयंभू (16)
सयंभउ, सयंभयो, सयंभवो (17, 18)
सयंभुणो, सयंभू (19, 2, 10, 50) ' द्वि. सयंभुं (28)
सयंभू, मयंभूणो (15, 19) तृ. सयंभुणा (21)
सयंभूहि, सयंभूहिँ, सयंभूहिं (14) च. सयंभुणो (57, 20)
सयंभूण (4, 10, 50, 57) सयंभुस्स (50, 8)
सयंभूणं (60) पं. सयंभुणो (20)
सयंभुत्तो, सयंभूयो, सयंभूउ सयंभूहिन्तो, सयंभुत्तो, सयंभूप्रो, सयंभूउ सयंभूहिन्तो सयंभूसुन्तो (14)
(53) ष. सयंभूणो (20)
सयंभूण (4, 10, 50) सयंभुस्स (50, 8)
सयंभूणं (60) स. सयंभुम्मि (54)
सयंभूसु (14)
सयंभूसुं (60) सं. हे सयंभु (34)
हे सयंभउ, हे सयंभो , हे सयंभवो, हे सयंभुणो,
हे सयंभू (59)
अकारान्त नपुंसकलिंग (कमल) प्र. कमलं (22)
कमलाइँ, कमलाई, कमलाणि (23) द्वि. कमलं (3, 50)
कमला', कमलाइं, कमलाणि (23) सं. हे कमल (29)
हे कमला', हे कमलाइं, हे कमलाणि (59) शेष पुल्लिग के समान

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