SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 122
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 108 जनविद्या पं. साहुणो (20) साहुत्तो, साहूो, साहूउ, साहूहिन्तो, साहुत्तो, साहूप्रो, साहूउ साहू हिन्तो (53) साहूसुन्तो (14) ष. साहुणो, सोहुस्स (20, 50, 8) साहूण, साहूणं (4, 10, 50, 60) स. साहुम्मि (54) साहूसु, साहूV (14, 60) सं. हे साहू, हे साहु (30) हे साहउ, हे साहसो, हे साहवो, हे साहुणो हे साहु (59) उकारान्त पुल्लिग (सयंभू) एकवचन बहुवचन प्र. सयंभू (16) सयंभउ, सयंभयो, सयंभवो (17, 18) सयंभुणो, सयंभू (19, 2, 10, 50) ' द्वि. सयंभुं (28) सयंभू, मयंभूणो (15, 19) तृ. सयंभुणा (21) सयंभूहि, सयंभूहिँ, सयंभूहिं (14) च. सयंभुणो (57, 20) सयंभूण (4, 10, 50, 57) सयंभुस्स (50, 8) सयंभूणं (60) पं. सयंभुणो (20) सयंभुत्तो, सयंभूयो, सयंभूउ सयंभूहिन्तो, सयंभुत्तो, सयंभूप्रो, सयंभूउ सयंभूहिन्तो सयंभूसुन्तो (14) (53) ष. सयंभूणो (20) सयंभूण (4, 10, 50) सयंभुस्स (50, 8) सयंभूणं (60) स. सयंभुम्मि (54) सयंभूसु (14) सयंभूसुं (60) सं. हे सयंभु (34) हे सयंभउ, हे सयंभो , हे सयंभवो, हे सयंभुणो, हे सयंभू (59) अकारान्त नपुंसकलिंग (कमल) प्र. कमलं (22) कमलाइँ, कमलाई, कमलाणि (23) द्वि. कमलं (3, 50) कमला', कमलाइं, कमलाणि (23) सं. हे कमल (29) हे कमला', हे कमलाइं, हे कमलाणि (59) शेष पुल्लिग के समान
SR No.524758
Book TitleJain Vidya 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1988
Total Pages132
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy