Book Title: Jain Vidya 09
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 127
________________ जैनविद्या द्वि. राइणं ( 45 ) तू. राइणा, रण्ण ( 43 ) च. राइणो, रायणो, रण्णो (42, 57 ) पं. राइणो, रण्णो, रायाणो ( 42 ) ब. राइणो, रायणो, रण्णो ( 42 ) स. राइम्मि ( 44 ) सं. हे राया, हे राय ( 30, 59 ) राया, रायाणो, राइणो ( 42 ) राई, राई, राईहि (46) राइणं, राईण, राईणं (45, 46, 60, 57 ) राइतो, राई, राईउ, राईहिन्तो, राईसुन्तो (46) राइणं, राईण, राई ( 45, 46, 60 ) राई, राई (46,60 ) हे राया, हे रायाणो, हे राइणो ( 59 ) नोट- (i) राय या राम्र के रूप देव की तरह भी चलेंगे । 113 (ii) रायाण या राश्रारण (3/56) के रूप भी देव की तरह चलेंगे ।

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