Book Title: Jain Vidya 09
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 112
________________ जनविद्या 40. प्रा सौ न वा 3/48 पा (प्रा) 1/1 सौ (सि) 7/1 न वा (अ) = विकल्प से (ऋकारान्त शब्दों में) सि परे होने पर (ऋ के स्थान पर) प्रा विकल्प से होता है। ऋकारान्त शब्दों में सि (प्रथमा एकवचन का प्रत्यय) परे होने पर ऋ के स्थान पर प्रा विकल्प से होता है और फिर सि का लोप हो जाता है। पित (पु.)-(पितृ+सि) = (पिया+०) = पिना (प्रथमा एकवचन) कर्तृ (वि)-(कर्तृ + सि) = (कत्ता+०) = कत्ता (प्रथमा एकवचन) 41. राज्ञः 3/49 राज्ञः (राजन्) 5/1 राजन्→ राय से परे सि होने पर (प्र के स्थान पर) प्रा (विकल्प से) (होता है)। राय से परे सि (प्रथमा एकवचन का प्रत्यय) होने पर अ के स्थान पर प्रा विकल्प से होता है और सि का लोप हो जाता है । राय (पु.)-(राय+सि) = (राया+०) = राया (प्रथमा एकवचन) राजन→ राज 1/11 अन्त्यव्यञ्जनस्य (लुक्) 1/11, 1/10 राज→ राम 1/177 क-ग-च-ज-त-द-प-य-वां प्रायो लुक् 1/177 राम→ राय 1/180 अवर्णो य श्रुति 1/180 42. जस्-शस्-सि-ङसां णो 3/50 जस्-शस्-ङसि-ङसां णो [(ङसाम्) + (णो)] [ (जस्)-(शस्)-(ङसि)-(ङस्) 6/3] णो (णो) 1/1 (प्राकृत में) राज→ (राय से परे) जस्, शस्, सि और ङस् के स्थान पर हो (विकल्प से) (होता है)। राज→ राय से परे जस् (प्रथमा बहुवचन का प्रत्यय), शस् (द्वितीया बहुवचन का प्रत्यय) सि (पंचमी एकवचन का प्रत्यय) और ङस् (षष्ठी एकवचन का प्रत्यय) के स्थान पर णो विकल्प से होता है । राज→ राय-(राज+जस्) = (राज+णो) सूत्र 3/52 (इर्जस्य णो-णा-डौ) से ज के स्थान पर इ हो जाता है। :: (राज+णो) = (राइ+णो) = राइयो (प्रथमा बहुवचन) (राज+शस्) = (राइ+ णो) = राइणो (द्वितीया बहुवचन)

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