Book Title: Jain Vidya 09
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 117
________________ जनविद्या 103 आकारान्त, इकारान्त-उकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में तथा इकारान्त-उकारान्त-पुल्लिगनपुंसकलिंग शब्दों से परे ङसि (पंचमी एकवचन का प्रत्यय) के स्थान पर लोप प्रत्यय नहीं होता है। डस् = तो, दो, दु, हि, हिन्तो और लुक् (3/8) 53. भ्यसश्च हिः 3/127 भ्यसश्च हिः [(भ्यसः) + (च)] हिः भ्यस: (भ्यस्) 6/1 च (अ) और हिः (हि) 1/1 (प्राकृत में) (शेष में) (प्राकारान्त, इकारान्त-उकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में) (तथा इकारान्त-उकारान्त पुलिंग-नपुंसकलिंग शब्दों में) भ्यस् और (ङसि) के स्थान पर 'हि' (नहीं होता है) । आकारान्त, इकारान्त-उकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में तथा इकारान्त-उकारान्त पुल्लिगनपुंसकलिंग शब्दों में भ्यस् (पंचमी बहुवचन का प्रत्यय) और ङसि (पंचमी एकवचन का प्रत्यय) के स्थान पर 'हि' नहीं होता है । भ्यस् = त्तो, दो, दु, हि, हिन्तो, सुन्तो (3/9) उपर्युक्त दोनों सूत्रों को मिलाने पर (3/126+3/127) यह निष्कर्ष निकला कि सि = तो, दो, दु, हिन्तो = तो, दो→ ओ, दु→ उ, हिन्तो। भ्यस् = तो, दो, दु, हिन्तो, सुन्तो = त्तो, दो→ प्रो, दु→ उ, हिन्तो, सुन्तो । इन प्रत्ययों के लगाने पर पूर्व स्वर दीर्घ हो जाता है (3/12) और (3/16) पंचमी बहुवचन (भ्यस्) (तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो) कहात्तो→ कहत्तो, कहानो, कहाउ, कहाहिन्तो, कहासुन्तो पंचमी एकवचन (ङसि) (तो, ओ, उ, हिन्तो) कहा (स्त्री.)-कहात्तो→ कहत्तो कहानो, कहाउ, कहाहिन्तो मइ (स्त्री.)-मईत्तो→ मइत्तो, मईयो, मईउ, मईहिन्तो लच्छो (स्त्री.)-लच्छीत्तो→ लच्छित्तो, लच्छीमो, लच्छीउ, लच्छीहिन्तो घेणु (स्त्री.)-घेणूत्तो→ घेणुत्तो, घेणूअो घेणूउ, घेणूहिन्तो बहू (स्त्री.)-बहूत्तो→ बहुत्तो, बहूओ, बहूउ, बहूहिन्तो मईत्तो→ मइत्तो, मईओ, मईउ, मईहिन्तो, मईसुन्तो लच्छीत्तो→ लच्छित्तो, लच्छीओ, लच्छीउ, लच्छीहिन्तो, लच्छीसुन्तो घेणूतो→ घेणुत्तो, घेणूत्रो, घेणूउ, घेणूहिन्तो, घेणूसुन्तो बहूत्तो→ बहुत्तो, बहूओ, बहूउ, बहूहिन्तो, बहूसुन्तो

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