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जैनविद्या
वा= विकल्प से उतः (उत्) 5/1 डवो (डवो) 1/1 (प्राकृत में) उकारान्त से परे (जस् के स्थान पर डवो→ अवो विकल्प से (होता
उकारान्त पुल्लिग शब्दों से परे जस् (प्रथम बहुवचन का प्रत्यय) के स्थान पर अवो विकल्प से होता है। साहु (पु.)-(साहु+ जस्) = (साहु+अवो) = साहवो (प्रथमा बहुवचन)
सयंभू (पु)-(सयंभू+जस्) = (सयंभू+अवो) = सयंभवो (प्रथमा बहुवचन) 19. जस्-शसोर्णो वा 3/22
जस्-शसोर्णो वा [(शसोः) + (णो)] वा = विकल्प से । [(जस्)-(शस्) 6/2] णो (णो) 1/1 वा = विकल्प से (प्राकृत में) (इकारान्त-उकारान्त पुल्लिग शब्दों से परे) जस् और शस् के स्थान पर णो विकल्प से होता है। इकारान्त-उकारान्त पुल्लिग शब्दों से परे जस् (प्रथमा बहुवचन के प्रत्यय) और शस् (द्वितीया बहुवचन का प्रत्यय) के स्थान पर णो विकल्प से होता है। (दीर्घ स्वर ह्रस्व हो जाता है) (3/43) । और ह्रस्व स्वर दीर्घ नहीं होता है । (3/125) । हरि (पु.)-(हरि+जस्) = (हरि+णो) = हरिणो (प्रथमा बहुवचन)
(हरि+शस्) = (हरि+णो) = हरिणो (द्वितीया बहुवचन) साहु (पु.)-(साहु+जस्) = (साहु+णो) = साहुणो (प्रथमा बहुवचन)
(साहु+शस्) = (साहु+णो) = साहुणो (द्वितीया बहुवचन) गामणी (पु.)-(गामणी+जस्) = (गामणि + णो) = गामणिणो
(प्रथमा बहुवचन) (गामणी+शस्) = (गामणि + णो) = गामणिणो
__ (द्वितीया बहुवचन) सयंभू (पु.)-(सयंभू + जस्) = (सयंभु+ णो) = सयंभुणो (प्रथमा एकवचन)
(सयंभू + शस्) = (सयंभु+णो) = सयंभुणो (द्वितीया बहुवचन) यहाँ 3/4, 3/12 और 3/124 से हरी, साहू, गामणी और सयंभू (प्रथमा बहुवचन) 20. सि-ङसोः पुं-क्लीबे वा 3/23
[(ङसि)-(डस्) 6/2] [(पुं.)-(क्लीब) 7/1] वा = विकल्प से (प्राकृत में) (इकारान्त-उकारान्त) पुल्लिग-नपुंसकलिंग (शब्दों) में सि और उस के स्थान पर विकल्प से (णो होता है)। इकारान्त-उकारान्त पुल्लिग-नपुंसकलिंग शब्दों में सि (पंचमी एकवचन का प्रत्यय)
और ङस् (षष्ठी एकवचन का प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से जो होता है । दीर्घ स्वर ह्रस्व हो जाता हैं (3/43). और ह्रस्व स्वर दीर्घ नहीं होता (3/125) ।