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जनविद्या
अकारान्त, इकारान्त और उकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों में स्वर से परे सि (प्रथमा एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर म्→ - होता है । (मोनुस्वारः 1/23 सूत्र से म् का हुआ है)। कमल (नपुं.)-(कमल+सि) = (कमल+-) = कमलं . (प्रथमा एकवचन) वारि (नपुं.)-(वारि+सि) = (वारि+-) = वारि (प्रथमा एकवचन)
महु (नपुं.)-(महुं+सि) = (महु +-) = महुं (प्रथमा एकवचन) 23. जस्-शस्-इ-इं गयः सप्राग्दीर्घा 3/26
जस्-शस्-इ-इ णयः सप्राग्दीर्घाः [(स) + (प्राक्) + (दीर्घाः)] [(जस्)-(शस्)-(ई)-(इं)-(णि) 1/3] [(स)-(प्राक्)-(दीर्घ) 1/3]. (प्राकृत में) (नपुंसकलिंग में) जस् और शस् के स्थान पर इ, ई और णि (होते हैं) (तथा) साथ ही पूर्व में स्थित स्वर दीर्घ (हो जाते हैं)। अकारान्त, इकारान्त और उकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों में जस् (प्रथमा बहुवचन का प्रत्यय) और शस् (द्वितीया बहुवचन का प्रत्यय) के स्थान पर ईं, ई, णि हो जाते हैं तथा साथ ही पूर्व में स्थित स्वर दीर्घ हो जाते हैं। कमल (नपुं.)-(कमल+जस्) - (कमला+इँ, इ, णि) = कमलाई, कमलाई
कमलाणि (प्रथमा बहुवचन) (कमल+ शस्) = (कमला+ई, इं, णि) = कमलाह, कमलाई,
कमलाणि (द्वितीया बहुवचन) वारि (नपुं.)-(वारि+जस्) = (वारी+इँ, इं, णि) = वारीई, वारीइं, वारीरिण
(प्रथमा बहुवचन) (वारि+शस्) = (वारी+ई, इं, णि) = वारीई, वारीइं वारीणि
(द्वतीया बहुवचन) महु (नपुं.)-(महु + जस्) = (महू+ई, इं, णि) = महूई, महूई महूणि ।
(प्रथमा बहुवचन) (महु+ शस्) = (महू+ ई, इं, णि) = महूई, महूई, महूणि
(द्वितीया बहुवचन) 24. स्त्रियामुदोतो वा 3/27
स्त्रियामुदोतौ वा [(स्त्रियाम्) + (उत्) + (प्रोतो)] वा स्त्रियाम् (स्त्री) 7/1 [(उत्)-(प्रोत्) 1/2] वा= विकल्प से (प्राकृत में) स्त्रीलिंग में उत्→ उ और प्रोत्→ प्रो विकल्प से (होते हैं)। आकारान्त, इकारान्त, उकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में जस् (प्रथमा बहुवचन का प्रत्यय) और शस् (द्वितीया बहुवचन का प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से उ और पो होते हैं और साथ ही पूर्व में स्थित स्वर दीर्घ हो जाते हैं (यदि ह्रस्व हों तो)।