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जनविद्या
2. जस्-शसोलुंक् 3/4
जस्-शसोलंक [(शसोः) + (लुक्)] [(जस्)-(शस्) 6/2] लुक् (लुक्) 1/1 (प्राकृत में) जस् और शस् के स्थान पर लोप (होता है)। अकारान्त पुल्लिग शब्दां में जस् (प्रथमा बहुवचन के प्रत्यय) तथा शस् (द्वितीया बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर लोप→ • होता है । देव (पु.)-(देव+जस्) = (देव+०)
(देव+ शस्) = (देव+०)
3. अमोऽस्य 3/5
अमोऽस्य [(अमः)+अस्य)] प्रमः (अम्) 6/1 अस्य (अ) 6/1 (प्राकृत में) अम् के अ का (लोप होता है) । (और 'म्' शेष रहता है)। मोनुस्वार: 1/23 [ (मः) + (अनुस्वारः)] मः (म्) 6/1 अनुस्वारः (अनुस्वारः) 1/1 'म्' का अनुस्वारः (-) (होता है)। अकारान्त पुल्लिग शब्दों में प्रम् (द्वितीया एकवचन के प्रत्यय) के 'न' का लोप हो जाता है और बचे हुए 'म्' का अनुस्वार (-) हो जाता है। देव (पु)-(देव+ अम्) = (देव+म्) = (देव+-) = देवं (द्वितीया एकवचन)
4. टा-पामो णः 36
टा-प्रामो णः [(आमोः) + (ण:)] [(टा)-(आम्) 6/2] णः (ण) 1/1 (प्राकृत में) टा और पाम् के स्थान पर ण (होता है) अकारान्त पुल्लिग शब्दों में टा (तृतीया एकवचन के प्रत्यय) और पाम् (षष्ठी बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर न हो जाता है । देव (पु.)-(देव+टा) = (देव+ण)
__ (देव+आम्) = (देव+ण) 5. भिसो हि हि हिं 3/7
भिसो हि हि हि [(भिसः) + (हि) (हिं) (हिं)] मिस: (मिस्) 6/1 हि (हि) 1/1 हिँ (हिँ) 1/1 हिं (हिं) 1/1 (प्राकृत में) भिस के स्थान पर हि, हिं और हिं (होते हैं)। अकारान्त पुल्लिग शब्दों में भिस् (तृतीया बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर हि, हिँ
और हिं होते हैं। देव (पु.)-(देव+भिस्) = (देव+हि, हिँ, हिं)