Book Title: Gnata Dharmkathanga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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, आदरणीय शाह साहब तत्त्वज्ञ एवं आगमों के अच्छे ज्ञाता हैं। आप का अधिकांश समय धर्म साधना आराधना में बीतता है। प्रसन्नता एवं गर्व तो इस बात का है कि आप स्वयं तो आगमों का पठन-पाठन करते ही हैं, पर आपके सम्पर्क में आने वाले चतुर्विध संघ के सदस्यों को भी आगम की वाचनादि देकर जिनशासन की खूब प्रभावना करते हैं। आज के इस हीयमान युग में आप जैसे तत्त्वज्ञ श्रावक रत्न का मिलना जिनशासन के लिए गौरव की बात है। आपकी धर्म सहायिका श्रीमती मंगलाबहन शाह एवं पुत्र रत्न मयंकभाई शाह एवं श्रेयांसभाई शाह भी आपके पद चिह्नों पर चलने वाले हैं। आप सभी को आगमों एवं थोकड़ों का गहन अभ्यास है। आपके धार्मिक जीवन को देख कर प्रमोद होता है। आप चिरायु हों एवं शासन की प्रभावना करते रहें, इसी शुभ भावना के साथ!
संघ की आगम बत्तीसी प्रकाशन योजना के अर्न्तगत इस सूत्र का प्रथम बार नवम्बर २००३ में प्रकाशन हुआ। इसकी १००० प्रतियों अल्प समय में ही समाप्त हो गई। प्रथम आवृत्ति का तत्त्वज्ञ सुश्रावक श्रीमान् रानीदानजी सा. भंसाली, राजनांदगांव निवासी ने आद्योपरांत दोनों भागों का अवलोकन कर आवश्यक संशोधन किया अतः संघ आपका आभारी है। इसकी द्वितीय संशोधित आवृत्ति का जून २००५ में प्रकाशन किया गया था, अब इसकी यह तृतीय आवृत्ति श्रीमान् जशवंतलाल भाई शाह, मुम्बई निवासी के अर्थ सहयोग से ही प्रकाशित हो रही है। इसके प्रकाशन में जो कागज काम में लिया गया है . वह उच्च कोटि का मेफलिथो साथ ही पक्की सेक्शन बाईडिंग है बावजूद आदरणीय शाह साहब के आर्थिक सहयोग दोनों भागों का मूल्य मात्र ४०)+४०) रुपये ही रखा गया है। जो अन्य संस्थानों के प्रकाशनों की अपेक्षा अल्प है। पाठक बन्धुओं से निवेदन है कि वे इस तृतीय आवृत्ति का अधिक से अधिक लाभ उठावें। ... ब्यावर (राज.)
संघ सेवक दिनांकः २५-१२-२००६
नेमीचन्द बांठिया अ. भा. सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ, जोधपुर
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