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जैन प्राच्य विद्याएँ
(पृष्ठ १-२२०)
२. सम्पादकीय
डॉ. मोहनचन्द
२. जैन जगत्-उत्पत्ति और आधुनिक विज्ञान 8. Some S.range Notions in Jaina Cosmology ४. प्रारम्भिक जैन ग्रन्थों में बीजगणित
प्रो० जी० आर० जैन Dr. Sajjan Singh Lishk डॉ० मुकुट बिहारी लाल अग्रवाल
Dr. B. S. Jain
Prof. L. C. Jain & Sh. C. K. Jain
५. Contribution of Ancient Jaina Mathe
maticians ६. The Jaina Ulterior Motive of Mathe
matical Philosophy ७. जिनभद्रगणि के एक गणितीय सूत्र का रहस्य 5. Contribution of Mahaviracharya in the
development of theory of Series. ६. महावीराचार्य कृत 'गणितसार संग्रह
डॉ० राधाचरण गुप्त
Dr. R.S. Lal
डॉ. अलेक्जेंडर वोलोदास्की
Prof. David Pingree
१०. Sumatiharsa Gani and Some other Jaina
Jyotisis
Sh. Anupam Jain
११. Survey of the Work done on Jain
Mathematics १२. संस्कृत व्याकरण को जैन आचार्यों का योगदान १३. पूज्यपाद देवनन्दी का संस्कृत-व्याकरण को योगदान १४. आयुर्वेद के विषय में जैन दृष्टिकोण और जैनाचार्यों
का योगदान १५. दक्षिण में जैन-आयुर्वेद (प्राणावाय) की परम्परा १६. आयुर्वेद को जैन सन्तों की देन
डॉ० सूर्यकान्त बाली डॉ० प्रभा कुमारी आचार्य राजकुमार जैन
११३ १३१
डॉ० राजेन्द्रप्रकाश भटनागर डॉ. तेजसिंह गौड़
१७. आयुर्वेद और जैन धर्म : एक विवेचनात्मक अध्ययन
डॉ. प्रमोद मालवीय, डॉ० शोभा मोवार, डा० यज्ञदत्त शुक्ल, प्रो० पूर्णचन्द्र जैन श्री वाचस्पति मौद्गल्य
१८. संगीत समयसार के सन्दर्भ में गायक-गुण-दोष-विवेचन
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आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ
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