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हय राय - जिनेश्वर परमात्मा जिस प्रकार लोक में मंगल रूप है, उसी प्रकार हय राय अर्थात् उत्तम जाति का घोड़ा और हय राय यानि बालकन्या अर्थात् राग-द्वेष रहित, सरल चित्त बाल कन्या भी मंगल हैं; क्योंकि हय राय का अर्थ हत राग भी है और उत्तम घोड़ा भी । चमर - कर्मरूपी शत्रुओं का नाश कर परमात्मा मोक्ष को प्राप्त हुए है इसलिए शत्रु समूह पर जीत को दर्शाने वाले चमर को मंगल कहा जाता है।
पं.का./ता.वृ/1/5/15 प्र.12 भाव मंगल किसे कहते हैं और इसे उत्कृष्ट मंगल क्यों कहते है? उ. आत्मा की शुद्धि, सिद्धि अर्थात् आत्मा के उत्कृर्ष से सम्बन्धित मंगल
को भाव मंगल कहते है। भाव मंगल कर्म क्षय करने वाला, अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत चारित्र, अनंत सुखों को प्रदान करवाने वाला, संसार मुक्ति और सिद्धत्व प्राप्ति की युक्ति बताने वाला होने के कारण, इसे उत्कृष्ट मंगल कहते है। इसे
अनुत्तर मंगल भी कहते है। प्र.13 लौकिक मंगल के प्रकार बताइये ? उ. लोक प्रसिद्ध मंगल के तीन प्रकार होते है - 1. सचित्त, 2. अचित्त,
3. मिश्र। सचित्त मंगल - बाल कन्या (हय राय) तथा उत्तम जाति का घोडा (हय राय)। अचित्त मंगल - पीली सरसों (सिद्धार्थ), जल से भरा पूर्ण कलश, वंदन. माला, छत्र, श्वेत वर्ण, चमर, दर्पण आदि ।
मिश्र मंगल - अलंकार सहित कन्या । ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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