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सुपार्श्व दया के चन्दा प्रभु तिहुं निष्काम
श्री शीतल
श्रेयांस मुनीश्वर,
गम्भीर गुणीश्वर । विमल - विमल गुण धाम ॥ रसने ॥३
नाथ अनन्तजी अविचल ध्यानी, धर्म शांति वर - केवल ज्ञानी । हों दुःख दूर तमाम ॥ रसने ॥४
कुंथु अरह मल्लि
जिन स्वामी,
सुनामी । गान ॥ रसने॥५ अहिंसा नाद बजैया । भजले आठों याम ॥ रसने''''।।६
पद्म
पुष्प दन्त
वासु पूज्य
-
मुनि सुव्रत नमि नेमि
कर डट के गुण पार्श्वनाथजी नांग बचैया, वीर
कूप
अन्ध लगा "अमर"
मुझे
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सागर,
जगत उजागर ।
॥ रसने॥२
सीधे मग पर अब तो होले,
पाप
कालिमा
अपनी
करले
विश्व गुलाम ॥ रसने
में
गेरे,
मन्दिर
मृत्यु से
मतना
-
में डेरे ॥
थाम
फ्र
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धोले ।
॥७
॥ रसने॥८
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