Book Title: Bhavanjali
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 14
________________ [ 1 सुपार्श्व दया के चन्दा प्रभु तिहुं निष्काम श्री शीतल श्रेयांस मुनीश्वर, गम्भीर गुणीश्वर । विमल - विमल गुण धाम ॥ रसने ॥३ नाथ अनन्तजी अविचल ध्यानी, धर्म शांति वर - केवल ज्ञानी । हों दुःख दूर तमाम ॥ रसने ॥४ कुंथु अरह मल्लि जिन स्वामी, सुनामी । गान ॥ रसने॥५ अहिंसा नाद बजैया । भजले आठों याम ॥ रसने''''।।६ पद्म पुष्प दन्त वासु पूज्य - मुनि सुव्रत नमि नेमि कर डट के गुण पार्श्वनाथजी नांग बचैया, वीर कूप अन्ध लगा "अमर" मुझे w Jain Education International सागर, जगत उजागर । ॥ रसने॥२ सीधे मग पर अब तो होले, पाप कालिमा अपनी करले विश्व गुलाम ॥ रसने में गेरे, मन्दिर मृत्यु से मतना - में डेरे ॥ थाम फ्र For Private & Personal Use Only धोले । ॥७ ॥ रसने॥८ www.jainelibrary.org

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