Book Title: Bhavanjali
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 31
________________ [ २५ ] सनिक बनेगें तर्ज-विपद में सनमने सँभाली कमलिया महावीर स्वामी के सैनिक बनेंगे, उसी के बताये सुपथ पर चलेंगे। १ विपत्ति सहेंगे जो आयेंगी उपर, न तिलमात्र भी निज प्रणसे डिगेंगे। २ उठाकर अहिंसा का झंडा फिरेंगे, अहिंसा को संसार व्यापी करेंगे। ३ जियेंगे तो धर्मों की रक्षा की खातिर, इसी धर्म रक्षा की खातिर मरेंगे। ४ मिटा ऊँच नीच के और भेद भयंकर, अटल साम्य सूचक नयायुग रचेंगे। ५ लखो शक्ति अपनी बनो पूर्ण ईश्वर, संदेशा प्रभू का यह सवसे कहेंगे ॥ ६ अनेकान्त नद में मिला मत की नदियाँ, मत द्वेष जगसे मिटाके रहेंगे। ७ नहाके त्रिरत्न त्रिवेणी हृदय में । __ अमर मुक्ति - मन्दिर में जाके रहेंगे। क्षेत्रवती वीर जयन्ति १६६३ ॥ इति. ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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