Book Title: Bhavanjali
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 46
________________ [ ४० ] सती सीता तर्ज-बढ़ा दे आज की शब और चखें पीर थोड़ी सी हमारे हिन्द में सीता सती कैसी हुई देखो न ऐसी अन्य देशो में कहीं पर भी हुई देखो ॥ टेह. ॥ १ सभी सुख छोड़ महलों के भया वह शून्य अटवी में । पती के संग पैदल ही मुदित मन से गई देखो । २ रही वृक्षों के नीचे और पहन एक बसन कैसी ३ चुराकर ले गया रावण, हहा जालिमने दिलं भर, नीरस पत्र फल खाये फकीरी ले लई देखो || सतोव्रत भंग करने को यातनाएँ भी देई देखो । ४ उसी की कैद में रहकर, उसी को ही निडरता से । कहे कटु वाक्य कामी, खर, अधम निर्लज्ज इसे देखो । ५ दिखाया सत्य बे खटके, अनलके कुण्ड में कूदी हुआ ट शीत जल - झरना, अलौकिकता नई देखो । Jain Education International ६ बनेंगी नारियाँ जब यहाँ सती सीता सी अब फिर से तभी भारत अमर होगा अखिल भूतल जमी देखो । नारलोल पोष १६७६ ॥ इति. ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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