Book Title: Bhavanjali
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 95
________________ [ ८६ ] आदमी आदमी को आदमी बनना सिखाया वीर ने, देवता सोया हुआ जग का जगाया वीर ने। विश्व के जन एक हैं, सब यह बताया वीर ने, घोर तम में सत्य का सूरज दिखाया वीर ने ॥ वीर की क्या देशना थी, बस सुधा की वृष्टि थी । हो गई जागृत सचेत , जो कि मूच्छित सृष्टि थी। मंगल मंगल मन हो, मंगल वाणी, मंगल हो सब कर्म अनूप । मन की तमसा मिट जाए तो, नर ही है नारायण • रूप ॥ AAR 62 ana HTRA CERT Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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