Book Title: Bhavanjali
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 93
________________ . [ ८७ ] ज्ञान - ज्योति बुझते मन से दीप जलाये, उन दीपों से क्या होगा ? अधरों पर मुस्कान न खेली, फुलझड़ियों से क्या होगा ? लाखों दीप जलं शास्त्रों के, पर मन तम से प्लावित है। ज्ञान - ज्योति के स्पर्श बिना मन, कभी न होता द्योतित है ।। अमर सत्य सत्य सत्य है, सदा सत्य है, उसमें नया पुराना क्या ? जब भी प्रकट सत्य की स्थिति हो, स्वीकृति से कतराना क्या ? सत्य, सत्य है, जहाँ कहीं भी, मिले उसे अपनाना है । स्व - पर पक्ष से मुक्त सत्य की, निर्भय ज्योति जलाना है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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