Book Title: Bhavanjali
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 47
________________ . [ ४१४] दानवीर भामाशाह तर्ज-मेरी इमदाद को ऐ वासुरी वाले आजा मातृ भूमि को कोई दुःख से बचाए क्यों कर ओ ! वीर भामाशाह तेरी याद न आये क्यों कर ॥ध्रु.॥. १ तूने ही राणा को आके दी तसल्ली अच्छी तरह । दुःख में किसो को कोई, धीर बंधाए क्यों कर । २ तू ही था शैदा वतन का कर दिये खजाने खाली । वतन के खातीर कोई, धन को लुटाए क्यों कर ।। ३ बनिया होकर भी न तूने, कुछ करी धन की परवाह । वक्त पै दिल को कोई दरिया बनाए क्यों कर ।। . ४ तू लाल था जैन कौमका तेरा यश है अमर है अबतक । कौम अपनी को कोई जग में दिपाये क्यों कर कल्याणपुर ॥ आषाढ १९७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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