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दानवीर भामाशाह तर्ज-मेरी इमदाद को ऐ वासुरी वाले आजा मातृ भूमि को कोई दुःख से बचाए क्यों कर ओ ! वीर भामाशाह तेरी याद न आये क्यों कर ॥ध्रु.॥. १ तूने ही राणा को आके दी तसल्ली अच्छी तरह ।
दुःख में किसो को कोई, धीर बंधाए क्यों कर । २ तू ही था शैदा वतन का कर दिये खजाने खाली ।
वतन के खातीर कोई, धन को लुटाए क्यों कर ।। ३ बनिया होकर भी न तूने, कुछ करी धन की परवाह ।
वक्त पै दिल को कोई दरिया बनाए क्यों कर ।।
. ४ तू लाल था जैन कौमका तेरा यश है अमर है अबतक । कौम अपनी को कोई जग में दिपाये क्यों कर
कल्याणपुर ॥ आषाढ १९७६
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